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आयनन ऊर्जा से क्या तात्पर्य है-

आयनन ऊर्जा से क्या तात्पर्य है-

1-आयनन ऊर्जा-

किसी विलगित (आइसोलेटेड) गैसीय अवस्था वाले परमाणु के सबसे शिथिलतः बद्ध (लूजली बाउण्ड) इलेक्ट्रान को परमाणु से अलग करने के लिये आवश्यक ऊर्जाआयनन ऊर्जा ( ionization energy (IE)) या ‘आयनन विभव’ या ‘आयनन एन्थैल्पी’ कहलाती है।

{\displaystyle \ A_{(g)}+E_{I}\to A_{(g)}^{+}\ +e^{-}}{\displaystyle \ A_{(g)}+E_{I}\to A_{(g)}^{+}\ +e^{-}}.

जहाँ {\displaystyle A_{(g)}}{\displaystyle A_{(g)}} किसी रासायनिक तत्त्व का गैसीय अवस्था में स्थित परमाणु है; E_i, आयनन ऊर्जा है जिसको प्रथम आयनन ऊर्जा भी कहते हैं। दूसरे सबसे शिलिलतः बद्ध इलेक्ट्रान को परमाणु से बाहर निकालने के लिये आवश्यक ऊर्जा को द्वितीय आयनन ऊर्जा कहते हैं। द्वितीय आयनन ऊर्जा, प्रथम आयनन ऊर्जा से अधिक होती है।

आयनन ऊर्जा से क्या तात्पर्य है-
आयनन ऊर्जा से क्या तात्पर्य है-

आययन ऊर्जा को इलेक्ट्रान वोल्ट (eV) में, या ‘जूल प्रति मोल’ में व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 1.
आवर्त सारणी में व्यवस्था का भौतिक आधार क्या है?
उत्तर
आवर्त सारणी में व्यवस्था का भौतिक आधार समान गुणधर्म (भौतिक तथा रासायनिक गुण) वाले तत्वों को एकसाथ एक ही वर्ग में रखना है। चूंकि तत्वों के ये गुणधर्म मुख्यत: उनके संयोजी कोश के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करते हैं। अत: किसी समूह के तत्वों के परमाणुओं के संयोजी कोश विन्यास समान होते हैं।

प्रश्न 2.
मेंडलीव ने किस महत्त्वपूर्ण गुणधर्म को अपनी आवर्त सारणी में तत्वों के वर्गीकरण का आधार बनाया? क्या वे उस पर दृढ़ रह पाए?
उत्तर
मेंडलीव ने परमाणु भार को, तत्त्वों के वर्गीकरण का आधार माना तथा तत्त्वों को बढ़ते हुए परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया। वह अपने आधार पर निष्ठापूर्वक दृढ़ रहे तथा उन्होंने उन तत्त्वों के लिए रिक्त स्थान छोड़ा जो उस समय ज्ञात नहीं थे तथा उनके परमाणु भारों के आधार पर, उनके लक्षणों या गुणों की भविष्यवाणी की। उनकी भविष्यवाणियाँ उन तत्त्वों की खोज होने पर सत्य पायी गयीं।

प्रश्न 3.
मेंडलीव के आवर्त नियम और आधुनिक आवर्त नियम में मौलिक अन्तर क्या है?
उत्तर
मेंडलीव का आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु भारों पर आधारित है, जबकि आधुनिक आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु क्रमांकों पर आधारित है। इस प्रकार मौलिक अन्तर वर्गीकरण का आधार है।

प्रश्न 4.
क्वाण्टम संख्याओं के आधार पर यह सिद्ध कीजिए कि आवर्त सारणी के छठवें आवर्त में 32 तत्व होने चाहिए।
उत्तर
आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में प्रत्येक आवर्त एक नई कक्षा के भरने से प्रारम्भ होता है। छठवाँ आवर्त (मुख्य क्वाण्टम संख्या = 6)n = 6 से प्रारम्भ होता है। इस कक्ष के लिए, n= 6 तथा != 0,1, 2 तथा 3 होगा (उच्च मान आदेशित नहीं है)।

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