
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय
1-जयशंकर प्रसाद का जन्म
जयशंकर प्रसाद का जन्म सन 1889 मैं वाराणसी में हुआ काशी के प्रसिद्ध क्विज कॉलेज में हुए पढ़ने गए परंतु स्थितियां अनुकूल न होने के कारण आठवीं से आगे नहीं बढ़ पाए बाद में घर पर ही संस्कृत हिंदी फारसी का अध्ययन किया छायावादी काव्य प्रवृत्ति के प्रमुख कवियों में से एक जयशंकर प्रसाद का सन 1937 में निधन हो गया।
2-जयशंकर प्रसाद की प्रमुख पुस्तकें
उनकी प्रमुख काव्य कृतियों हैं चित्रा धारा कानन कुसुम झरना आंसू लहर और कामायानी आधुनिक हिंदी की श्रेष्ठतम काव्य कृति मानी जाने वाली कामायनी पर उन्हें मंगला प्रसाद पारितोषिक दिया गया वह कवि के साथ-साथ सफल गद्य कार भी थे अजातशत्रु चंद्रगुप्त स्कंद गुप्त और उनके नाटक हैं तो कंकाल तितली और किरावली उपन्यास आकाशदीप आंधी और इंद्रजाल उनके कहानी संग्रह
1-आत्मकथ्य
मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी अपनी यह,मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी।इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहासयह लो, करते ही रहते हैं अपने व्यंग्य-मलिन उपहासतब भी कहते हो – कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।तुम सुनकर सुख पाओगे , देखोगे – यह गागर रीती।किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले -अपने को समझो , मेरा रस ले अपनी भरने वाले।
अर्थ-आत्मकथा लिखने की बात से ही मन रुपी भौंरा अतीत की ओर उड़ान भर देता है। फिर तो अनायास ही अतीत की यादें , सुख-दुख की गाथाएँ कवि की आँखों के समक्ष चल-चित्र हो उठती हैं। ऐसा जान पड़ता है
इन्हें भी पढ़ें:-आत्मकथ्य पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर-
कि मन रुपी भौंरा कवि के आस-पास गुनगुनाते हुए अतीत की कहानी सुना रहा हो। कवि का जीवन-रुपी वृक्ष तब आशा , आकाँक्षा, खुशियाँ , आनंद और जोश रुपी पत्तियों से हरा-भरा था; परन्तु वर्तमान में परिस्थितियाँ प्रतिकूल हैं ।
अब तो एक-एक पत्ती मुरझा – मुरझाकर गिर रही है। कवि का जीवन-रुपी वृक्ष मानों पतझड़ का सामना कर रहा है। तात्पर्य यह कि कवि के जीवन में दुख , निराशा , कष्ट और उदासी के अलावा कुछ शेष नहीं है। कवि कहता है
कि आज साहित्य रुपी आकाश में न जाने कितने लोगों के जीवन का इतिहास (आत्म-कथा) मौज़ूद है । किसी की आत्म-कथा पढ़कर , उनके जीवन के सुख-दुख की बातें जानकर लोग सहानुभूति नहीं दिखाते बल्कि उसका मज़ाक उड़ाते हैं , फ़ब्तियाँ कसते हैं । कवि कहता है
कि ऐ मेरे मित्रो ! इस सचाई को जानकर भी तुम कहते हो कि मैं अपने जीवन के दोषों , कमियों और कमजोरियों को लिखकर सार्वजनिक कर दूँ ।
मेरा जीवन आनंदरहित और असफल है। मेरा जीवन रुपी घड़ा एकदम खाली और रसहीन है। मेरे दुख की बातें जानकर , मेरे खालीपन को देखकर क्या तुम्हें खुशी होगी? मित्रो !हो सकता है ,
आत्मकथा लिखने के क्रम में कोई ऐसा सत्य उद्घाटित होजाय , जिसे जानकर तुम स्वयं को ही मेरे दुख और अवसाद का कारण समझने लगो। अत: मैं आत्मकथा नहीं लिखना चाहता।
1-जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ
1889
2-जयशंकर प्रसाद का कहां जन्म हुआ
वाराणसी