
जल प्रदूषण क्या है? , स्रोत, प्रभाव, तथा रोकथाम के उपाय।
जल प्रदूषण का अर्थ-
जल में अनेक प्रकार के खनिज, कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ तथा हानिकारक पदार्थ खुले होने से जल प्रदूषित हो जाता है। यह प्रदूषित जल जीवो में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर सकता है। जल प्रदूषक विभिन्न रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु, वायरस, कीटाणु नाशक पदार्थ, वाहित मल, रासायनिक खादें, अन्य कार्बनिक पदार्थ आदि अनेक पदार्थ हो सकते हैं।
जल प्रदूषण के स्रोत-
- कृषि में प्रयोग किए गए कीटाणु नाशक, विभिन्न रासायनिक खादें।
- शीशा, पारा आदि के अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ, जो औद्योगिक संस्थाओं से निकलते हैं।
- भूमि पर गिरने वाला या तेल वाहकों द्वारा ले जाया जाने वाला तेल तथा अनेक प्रकार के वाष्पीकृत होने वाले पदार्थ जैसे, पेट्रोल, एथिलीन, आदि वायुमंडल से द्रवित होकर जल में आ जाते हैं।
- रेडियोधर्मी पदार्थ जो प्रमाण विश फोटो आदि से उत्पन्न होते हैं और जल प्रभाव में पहुंचते हैं।
- वाहित मल जो मनुष्यों द्वारा जल प्रभाव में मिला दिया जाता है।
जल प्रदूषण के प्रभाव-
- जल प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार की बीमारियां महामारी के रूप में फैल सकती हैं। हैजा, टाइफाइड,पेचिश, पोलियो आदि रोगों के रोगाणु प्रदूषित जल द्वारा ही शरीरों में पहुंचते हैं।
- नदी, तालाब आदि का प्रदूषित जल पशुओं, मवेशी आदि में भयंकर बीमारियां उत्पन्न करता है।
- जल मैं रहने वाले जंतु वह पौधे प्रदूषित जल से नष्ट हो जाते हैं या उनमें अनेक प्रकार के रोग लग जाते हैं। विषैले पदार्थों के कण जल में नीचे बैठ जाते हैं।
- प्रदूषित जल पौधों में भी अनेक प्रकार के कीट तथा जीवाणु रोग उत्पन्न कर सकता है। कुछ विषैले पदार्थ पौधे के माध्यम से मनुष्य तथा अन्य जीवो के शरीर में पहुंचकर हानि पहुंचाते हैं।
- जलीय जीवो के नष्ट होने से खाद्य पदार्थों की हानि होती हैं। ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियां बड़ी संख्या में मर जाते हैं।
जल प्रदूषण की रोकथाम के उपाय-
- कूड़ा करकट, सड़े गले पदार्थ, एवं मल मूत्र को शहर से बाहर गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए।
- सीवर का जल पहले नगर से बाहर ले जाकर दोष रहित करना चाहिए। बाद में इसे नदियों में छोड़ना चाहिए।
- विभिन्न कारखानों आदि से निकले जल तथा अपशिष्ट पदार्थों का शुद्धिकरण आवश्यक है।
- समुद्र के जल में परमाणु विस्फोट नहीं किया जाना चाहिए।
- तालाबों आदि में शैवाल जैसे जलीय पौधे उगाए जाने चाहिए, ताकि जल को शुद्ध रखा जा सके।
- विभिन्न प्रदूषकों को समुद्री जल में मिलने से रोका जाना।चाहिए।
- खेतों में तथा जल में कीटाणु नाशक दवाओं का कम से कम प्रयोग किया जाना चाहिए।
- स्वच्छ जल के दुरुपयोग को रोका जाना चाहिए।
- ग्राम स्तर से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक समितियों का गठन किया जाना चाहिए।
जल प्रदूषण का अर्थ बताइए।
जल में अनेक प्रकार के खनिज, कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थ तथा हानिकारक पदार्थ खुले होने से जल प्रदूषित हो जाता है। यह प्रदूषित जल जीवो में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर सकता है।
जल प्रदूषण का एक स्रोत बताइए।
भूमि पर गिरने वाला या तेल वाहकों द्वारा ले जाया जाने वाला तेल तथा अनेक प्रकार के वाष्पीकृत होने वाले पदार्थ जैसे, पेट्रोल, एथिलीन, आदि वायुमंडल से द्रवित होकर जल में आ जाते हैं।
जल प्रदूषण का एक प्रभाव बताइए।
प्रदूषित जल पौधों में भी अनेक प्रकार के कीट तथा जीवाणु रोग उत्पन्न कर सकता है। कुछ विषैले पदार्थ पौधे के माध्यम से मनुष्य तथा अन्य जीवो के शरीर में पहुंचकर हानि पहुंचाते हैं।
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जल प्रदूषण के रोकथाम के लिए 2 उपाय बताइए।
कूड़ा करकट, सड़े गले पदार्थ, एवं मल मूत्र को शहर से बाहर गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए।
सीवर का जल पहले नगर से बाहर ले जाकर दोष रहित करना चाहिए। बाद में इसे नदियों में छोड़ना चाहिए।
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