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प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए-

प्रच्छन्न बेरोजगारी आंशिक बेरोजगारी की वह अवस्था है।जिसमें रोजगार में संलग्न श्रम शक्ति का योगदान शुन्य या लगभग शून्य होता है।इसका मुख्य कारण किसी व्यवसाय/उद्योग में आवश्यकता से अधिक शर्म का लगा होना है।इसमें श्रमिक अपने अस्तित्व के लिए, अपनी योग्यता के विपरीत, कम आय वाले व्यवसाय में कार्य करने के लिए विवश हो जाती हैं।

प्रच्छन्न बेरोजगारी-

प्रच्छन्न बेरोजगारी आंशिक बेरोजगारी की वह अवस्था है।जिसमें रोजगार में संलग्न श्रम शक्ति का योगदान शुन्य या लगभग शून्य होता है।इसका मुख्य कारण किसी व्यवसाय/उद्योग में आवश्यकता से अधिक शर्म का लगा होना है।इसमें श्रमिक अपने अस्तित्व के लिए, अपनी योग्यता के विपरीत, कम आय वाले व्यवसाय में कार्य करने के लिए विवश हो जाती हैं।

अथवा व्यवसाय में अधिक श्रमिक लगे होते हैं।यदि उन्हें इस व्यवसाय से हटाकर किसी अन्य व्यवसाय में स्थापित कर दिया जाए और मूल व्यवसाय के उत्पादन में कोई कमी ना हो तो यह स्थिति प्रच्छन्न बेरोजगारी की स्थिति कहीं जाएगी संक्षेप में प्रश्न बेरोजगारी से आशय किसी विशेष आर्थिक क्रिया में उत्पादन हेतु आवश्यकता से अधिक मात्रा में श्रमिकों के लगे होने से है।

प्रच्छन्न बेरोजगारी आंशिक बेरोजगारी की वह अवस्था है।जिसमें रोजगार में संलग्न श्रम शक्ति का योगदान शुन्य या लगभग शून्य होता है।इसका मुख्य कारण किसी व्यवसाय/उद्योग में आवश्यकता से अधिक शर्म का लगा होना है।इसमें श्रमिक अपने अस्तित्व के लिए, अपनी योग्यता के विपरीत, कम आय वाले व्यवसाय में कार्य करने के लिए विवश हो जाती हैं।
प्रच्छन्न बेरोजगारी आंशिक बेरोजगारी की वह अवस्था है।जिसमें रोजगार में संलग्न श्रम शक्ति का योगदान शुन्य या लगभग शून्य होता है।इसका मुख्य कारण किसी व्यवसाय/उद्योग में आवश्यकता से अधिक शर्म का लगा होना है।इसमें श्रमिक अपने अस्तित्व के लिए, अपनी योग्यता के विपरीत, कम आय वाले व्यवसाय में कार्य करने के लिए विवश हो जाती हैं।

उदाहरण-

शहरी क्षेत्रों से उदाहरण-

शहरी क्षेत्रों में इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः छोटी फुटकर दुकानों में पाई जाती है।एक दुकान में, जिसमें केवल दो लोगों की आवश्यकता होती है, यदि मालिक दो नौकर और दो लड़के कार्य करते हैं, एक लड़का और दो नौकर प्रच्छन्न रूप से बेरोजगार हैं। क्योंकि इनकी दुकान में आवश्यकता ही नहीं है।

ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण-

एक किसान के पास 2 हेक्टेयर का एक छोटा खेत है।जिसमें कार्य करने के लिए 2 लोग पर्याप्त हैं।किंतु उस किसान के परिवार के 5 सदस्य इस खेत में लगे रहते हैं।यदि उस कार्य से 3 लोगों को हटा दिया जाए तो कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आएगी इस प्रकार खेत में लगे 5 सदस्यों में से तीन सदस्य वस्तुतः प्रच्छन्न बेरोजगारी से दुखी है।

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