बल कितने प्रकार के होते हैं?
बल-
बल वह बाह्य कारक हैं जो किसी वस्तु की प्रारंभिक अवस्था में परिवर्तन करता हैं या परिवर्तन करने की चेष्टा करता हैं।
बल एक सदिश राशि हैं इसका S.I. मात्रक न्यूटन हैं।
दूसरे शब्दों में बल वह कारक होता है जो किसी भी रुकी हुई अथवा थमी हुई वस्तु में परिवर्तन ला सकता है।
बल के प्रकार-
1-संतुलित बल।
2-असंतुलित बल।
1-संतुलित बल-
जब किसी वस्तु पर एक- साथ कई बल कार्य कर रहे हो और उनका परिणामी बल शुन्य हो तो उन बलों को संतुलित बल कहते हैं। संतुलित बलो की अवस्था में यदि कोई वस्तु स्थिर है तो वह उसी प्रकार गति करती रहेगी, जैसे कि वस्तु पर कोई बल कार्य ही ना कर रहा हो।इस प्रकार संतुलित बलों के प्रभाव से वस्तु की स्थिति में परिवर्तन नहीं होता है।
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फिर भी, संतुलित बलों से वस्तु की आकृति बदल जाती है; जैसे-यदि रबड़ की एक गेंद को हथेलियों के बीच रखकर बराबर वह विपरीत बल लगाएं तो गेंद की आकृति बदल जाती है। यह गेंद गोल ना रहकर चपटी-सी हो जाती है।

उदाहरण-
रस्साकशी के खेल में जब दोनों टीम रस्सै को बराबर बल से खींची है, तब परिणामी बल शून्य होगा। अतः रसा तथा दोनों टीमें अपने स्थान पर स्थिर बने रहते हैं। इस दशा में दोनों टीमों द्वारा रस्सी पर लगाया गया बल संतुलित है।
2-असंतुलित बल-
जब किसी वस्तु पर लगे अनेक बलों का परिणामी बल शून्य ना हो तो उन बलों को असंतुलित बल कहते हैं। यह बल, गति की दिशा तथा अवस्था (चाल) मैं परिवर्तन करता है।
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उदाहरण-
रस्साकशी में यदि एक टीम दूसरी टीम से अधिक शक्तिशाली है तो वह रस्से से तथा कमजोर टीम दोनों को अपनी ओर खींच लेती है। इस दशा में रस्सी पर लगने वाला बल असंतुलित बल है।
बल क्या है-
बल वह बाह्य कारक हैं जो किसी वस्तु की प्रारंभिक अवस्था में परिवर्तन करता हैं या परिवर्तन करने की चेष्टा करता हैं।
बल एक सदिश राशि हैं इसका S.I. मात्रक न्यूटन हैं।
संतुलित बल किसे कहते हैं।
जब किसी वस्तु पर एक- साथ कई बल कार्य कर रहे हो और उनका परिणामी बल शुन्य हो तो उन बलों को संतुलित बल कहते हैं।
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असंतुलित बल किसे कहते हैं।
जब किसी वस्तु पर लगे अनेक बलों का परिणामी बल शून्य ना हो तो उन बलों को असंतुलित बल कहते हैं
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