
बल तथा गति के नियम-
1-बल क्या है?
एक धक्का या खिंचाव बल कहलाता है। या, किसी वस्तु पर लगने वाले धक्के या खिंचाव को बल कहते हैं। या, आकर्षण या अभिकर्षण (खींचना) या अपकर्षण (धक्का देना) बल कहलाता है।
2-बल के लिये आवश्यक घटक
(अ) दो वस्तुएँ – एक जिसपर बल लगाया जाता है, तथा दूसरी जिसके द्वारा बल लगाया जाता है। तथा
(ब) दोनों वस्तुओं में अन्योन्यक्रिया [इंट्रैक्शन (Interaction) ]।
अत: बल के लिये तीन घटक आवश्यक हैं दो वस्तुएं तथा उनमें सम्पर्क। किसी एक की अनुपस्थिति में बल नहीं लगेगा।
इन्हें भी पढ़ें:-आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण समझाइए।
3-संतुलित बल
वैसा बल जो किसी पिंड पर विपरीत दिशाओं में समान रूप से लग रहा हो, संतुलित बल कहलाता है। संतुलित बल किसी पिंड, जो विराम अवस्था में है, को गतिमान नहीं करता अर्थात वस्तु की अवस्था में परिवर्तन नहीं करता है।
4-असंतुलित बल
बल जो किसी वस्तु पर विपरीत दिशाओं में असमान रूप से लग रहा हो, वह असंतुलित बल कहलाता है। असंतुलित बल की स्थिति में वस्तु अधिक बल वाली दिशा में गतिमान होने लगता है।

5-न्यूटन का गति का प्रथम नियम
प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एकससमान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो। इसे गति का प्रथम नियम या न्यूटन के गति का प्रथम नियम कहा जाता है।
इन्हें भी पढ़ें:-छाया कैसे बनती है?
अर्थात सभी वस्तुएँ अपनी अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है।
इसका अर्थ है, यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है, तो वह विराम अवस्था में ही रहना चाहती है, तथा अपनी विराम अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है। उसी तरह यदि कोई वस्तु गति की अवस्था में है, तो वह गति अवस्था में ही रहना चाहती है।
6-जड़त्व तथा द्रव्यमान
गुणात्मक रूप में किसी वस्तु के विरामावस्था मे रहने या समान वेग से गतिशील रहने की प्रवृति को जड़त्व कहते हैं। इसी कारण से गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
इन्हें भी पढ़ें:-विद्युत आवेश तथा विद्युत क्षेत्र (12th, भौतिक विज्ञान, पाठ-1)
किसी भी वस्तु का एक प्राकृतिक गुण, जो उसकी (वस्तु की) विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता जड़त्व कहलाता है।
एक भारी वस्तु का जड़त्व अधिक होता है, अर्थात वस्तु का जड़त्व उसके भार का समानुपाती होता है। अर्थात भार बढ़ने के साथ जड़त्व बढ़ता है तथा भार घटने के साथ किसी वस्तु का जड़त्व कम होता है।
किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है।
इन्हें भी पढ़ें:-परितंत्र के कितने घटक होते हैं? परितंत्र के प्रकार-
7-संवेग (Momentum)
किसी वस्तु के वेग तथा द्रव्यमान के गुणनफल को संवेग (Momentum) कहते हैं। संवेग नामक इस राशि को न्यूटन ने प्रस्तुत किया था। संवेग को प्राय: p से दर्शाया जाता है।
अर्थात, p=mvp=mv
जहाँ, p = संवेग, m = द्रव्यमान तथा v = वेग
इन्हें भी पढ़ें:-थर्मिस्टर क्या है, उपयोग (12th, Physics, Lesson-4)
संवेग में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। संवेग की दिशा वही होती है जो वेग की दिशा होती है।

8-संवेग का एस आई मात्रक
द्रव्यमान का एस आई मात्रक kg (किलोग्राम) होता है तथा वेग का एस आई मात्रक m/s– (मीटर / सेकेंड) होता है।
अब चूँकि, p=mvp=mv
अत: p = kg . m s–1
अत: p (द्रव्यमान) का एस आई मात्रक = kg . m s–1 (किलोग्राम मीटर/सेकेंड) है।
9-गति का द्वितीय नियम
किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाले असंतुलित बल की दिशा में बल के समानुपाती होती है। इसे गति का द्वितीय नियम कहा जाता है। चूँकि न्यूटन ने इस गति नियम को दिया था अत: इसे न्यूटन के गति का द्वितीय नियम भी कहा जाता है।
F∝m aF∝m a
⇒F=k⋅m⋅a⇒F=k⋅m⋅a ———— (i)
जहाँ a=v−uta=v-ut वेग में परिवर्तन की दर अर्थात त्वरण है। तथा kk एक अनुपातिक स्थिरांक है।
यह न्यूटन के गति के द्वितीय नियम का गणितीय सूत्र है।
10-बल (F) क़ा एस आई (SI) मात्रक
बल = द्रव्यमान × त्वरण
चूँकि द्रव्यमान (m) का एसआई (SI) मात्रक kg होता है। तथा त्वरण (a) का एसआई (SI) मात्रक m s–2 होता है।
अत: बल (F)=kg⋅m s−2(F)=kg⋅m s-2
अर्थात बल का एस आई मात्रक (SI Unit) kg m s−2kg m s-2 है। इसे न्यूटन भी कहते हैं तथा NN द्वारा निरूपित किया जाता है।
न्यूटन की गति के द्वितीय नियम से हमें किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापने की विधि मिलती है। बल को उस वस्तु में उत्पन्न त्वरण तथा वस्तु के द्रव्यमान के गुणनफल से प्राप्त किया जाता है।

11-गति का तृतीय नियम
न्यूटन का गति का तृतीय नियम कहता है कि प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
गति के तृतीय नियम की ब्याख्या
गति के तीसरे नियम के अनुसार, जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहली वस्तु पर तात्क्षणिक बल लगाया जाता है। ये दोनों बल परिणाम में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं।
इसका अर्थ यह है कि बल सदैव युगल रूप में होते हैं। ये बल कभी एक वस्तु पर कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।
दूसरे शब्दों में किसी एकल बल का अस्तित्व नहीं होता है बल्कि ये सदैव युगल रूप में होते हैं।
इन दोनों विरोधी बलों को क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल कहा जाता है।
12-क्रिया और प्रतिक्रिया बल द्वारा उत्पन्न त्वरण
क्रिया और प्रतिक्रिया बल मान में हमेशा समान होते हैं फिर भी ये बल एक समान परिमाण के त्वरण उत्पन्न नहीं कर सकते। ऐसा प्रत्येक बल द्वारा अलग अलग द्रव्यमान की वस्तुओं पर कार्य करने के कारण होता है।
13-संवेग संरक्षण का नियम
संवेग संरक्षण के नियम के अनुसार दो वस्तुओं का कुल संवेग टकराने की प्रक्रिया में अपरिवर्तनीय या संरक्षित रहता है।
दूसरे शब्दों में दो वस्तुओं के संवेग का योग टकराने के पहले और टकराने के बाद बराबर रहता है, जबकि उनपर कोई असंतुलित बल कार्य न कर रहा हो। इसे संवेग संरक्षण का नियम कहते हैं।
1-महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर-
प्रश्न 1. यदि क्रिया सदैव प्रतिक्रिया के बराबर है तो स्पष्ट करें कि गाड़ी को घोड़ा कैसे खींच पाता है ?
उत्तर- न्यूटन के गति के तीसरे नियम के जब गाड़ी को घोड़े के द्वारा खींचा जाता है तो वह अपने पैरों से धरती को पीछे की ओर दबाता है। धरती की प्रतिक्रिया ऊपर की ओर कार्य करती है। प्रतिक्रियात्मक बल दो भागों में बँट जाता है। बल का उर्ध्वाधर घटक घोड़े को संतुलन देता है और क्षैतिज घटक गाड़ी को आगे की दिशा में गति देता है।
गाड़ी। के पहियों और सड़क के बीच घर्षण बल के पीछे की ओर कार्य करता है। जब बल सड़क और पहियों के घर्षण बल से अधिक हो जाता है तब गाड़ी चलने लगती है।प्रश्न 2. एक अग्निशमन कर्मचारी को तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी फेंकने वाली रबड़ की नली को पकड़ने में कठिनाई क्यों होती है, स्पष्ट करें।
उत्तर- क्रिया और प्रतिक्रिया सदा समान और विपरीत दिशा में होती है। अग्निशमन कर्मचारी को आग बुझाने के लिए तीव्र गति से बहुतायत मात्रा में पानी रबड़ की नली से फेंकना पड़ता है। पानी की धारा अति वेग से आग पर गिरती है पर वह पाइप को पीछे की ओर उतने ही वेग से पीछे धकेलता है
जिस कारण अग्निशमन कर्मचारी को नली पकड़ने में कठिनाई होती है।प्रश्न 3. एक 50 G द्रव्यमान की गोली 4 Kg द्रव्यमान की रायफल से 35ms-1 के प्रारंभिक वेग से छोड़ी जाती है। रायफल के प्रारंभिक प्रतिक्षेपित वेग की गणना कीजिए।
उत्तर – रायफल का द्रव्यमान, M1= 4 Kg
गोली का द्रव्यमान, M2= 50g= 0.05 Kg
रायफल का प्रतिक्षेपित वेग = V1
गोली प्रारंभिक वेग से छोड़ी जाती है V2= 35m/S
प्रारंभ में, रायफल विरामावस्था में है|
इसलिए इसका प्रारंभिक वेग, V = 0
रायफल तथा गोली का कुल प्रारंभिक संवेग = (M1+M2)V= 0
गोली छोड़ने के बाद रायफल तथा गोली का कुल संवेग = M1v1 + M2v2 = 0.05 × 35 = 4v1 + 1.75
संवेग संरक्षण के नियम के अनुसार,
गोली छोड़ने के बाद का संवेग = गोली छोड़ने के पहले का संवेग 4v1 + 1.75 = 0
V1 = -1.75/4 = -0.4375 M/S
नकारात्मक चिन्ह से ज्ञात होता है कि रायफल 0.4375 M/S वेग के साथ पीछे की ओर प्रतिक्षेपित होती है|प्रश्न 4. 100 G और 200 G द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही रेखा के अनुदिश एक ही दिशा में 2ms-1 और 1 Ms-1 के वेग से गति कर रही हैं। दोनों वस्तुएँ टकरा जाती हैं। टक्कर के पश्चात् प्रथम वस्तु का वेग 1.67 Ms-1 हो जाता है तो दूसरी वस्तु का वेग ज्ञात करें।
उत्तर – प्रथम वस्तु का द्रव्यमान, M1 = 100 G = 0.1 Kg
दूसरे वस्तु का द्रव्यमान, M2 = 200 G = 0.2 Kg
टकराने के पहले M1 का वेग, V1= 2 M/S
टकराने के पहले M2 का वेग, V2 = 1 M/S
टकराने के बाद M1 का वेग, V3 = 1.67 M/S
टकराने के बाद M2 का वेग, = V4
संवेग संरक्षण के नियम के अनुसार,
टकराने के बाद का कुल संवेग = टकराने के पहले का कुल संवेग
इसलिए, M1v1 + M2v2 = M1v3 + M2v
2(0.1) + 1(0.2) = 1.67(0.1) + V4 (0.2)
0.4 = 0.167 + 0.2v4
V4= 1.165 M/S
इस प्रकार, टकराने के बाद दूसरे वस्तु का वेग 1.165 M/S होता है|