
बीजाण्ड तथा बीज में अंतर-
1-फूल क्या होते हैं-
फूल प्रायः किसी पौधे का सबसे आकर्षक हिस्सा होते है। इनमे पंखुड़ियों के अलावा पौधे के जननांग होते हैं, जिनमे निषेचन के परिणामस्वरूप फलों और बीजों का निर्माण होता है।

2-पौधों में लैंगिक प्रजनन के चरण
• पुष्प का नर अंग ‘पुंकेसर’ (Stamen) कहलाता है। यह पौधे के नर युग्मकों के बनने में मदद करता है और परागकणों (Pollen Grains) में पाया जाता है।
• पुष्प का मादा अंग ‘अंडप/ कार्पेल’ (carpel) कहलाता है। यह पौधे के मादा युग्मकों या अंड कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और बीजांड (Ovules) में पाया जाता है।
3-पुष्प के अलग–अलग भाग–
• रेसप्टकल (Receptacle): यह पुष्प के तने या डंठल के ऊपर पाया जाने वाला पुष्प का आधार होता है। यह रेसप्टकल ही होता है, जिससे पुष्प के सभी भाग इससे जुड़े होते हैं।
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• बाह्यदल (Sepals): ये हरे पत्ते जैसे भाग होते हैं, जो पुष्प के सबसे बाहरी हिस्से में मौजूद रहते हैं। पुष्प जब कली के रूप में होता है, तब बाह्यदल उसकी रक्षा करते हैं। पुष्प के सभी बाह्यदलों को एक साथ बाह्यदल पुंज (Calyx) कहते हैं।
• पंखुड़ियां (Petals): पंखुड़ियां पुष्पों की रंगीन पत्तियां होती हैं। एक पुष्प की सभी पंखुड़ियों को दलपुंज (Corolla) कहते हैं। फूलों की पंखुड़ियों में खुशबू होती है और परागण के लिए वे कीटों को आकर्षित करते हैं। इनका काम पुष्प के मध्य भाग में उपस्थित प्रजनन अंगों की रक्षा करना है।
• पुंकेसर (Stamen): पुंकेसर पौधे का नर प्रजनन अंग होता है। ये पंखुड़ियों के छल्ले के भीतर उपस्थित होते हैं और फूले हुए ऊपरी हिस्सों के साथ इनमें थोड़ी डंठल होती है। पुंकेसर दो हिस्सों से बना होता है – ‘परागकोष’ (Anther) और ‘तंतु’ (Filament)। पुंकेसर का डंठल ‘तंतु’ कहलाता है और फूला हुआ ऊपरी हिस्सा ‘परागकोष’। पुंकेसर का परागकोष परागकण उत्पन्न करता है और उन्हें अपने भीतर रखता है। परागकणों में पौधे के नर युग्मक पाये जाते हैं। एक पुष्प में बहुत सारे पुंकेसर होते हैं।
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4-परागण
जब पुंकेसर से परागकण अंडप के स्टिग्मा में आता है, तो इसे ‘परागण’ कहते हैं। यह महत्वपूर्ण होता है क्योंकि परागण की वजह से ही नर युग्मक मादा युग्मकों के साथ मिल पाता है। परागण मधुमक्खियों, तितलियों और पक्षियों जैसे कीटों, हवा और पानी से होता है।
परागण दो प्रकार के होते हैं– स्व–परागण (Self-Pollination ) और संकर–परागण (Cross-Pollination)। जब एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के स्टिग्मा या उसी पौधे के दूसरे पुष्प के स्टिग्मा तक ले जाए जाते हैं, तो इसे ‘स्व–परागण’ कहते हैं।

जब एक पौधे के पुष्प के परागकण को उसी के जैसे दूसरे पौधे के पुष्प के स्टिग्मा तक ले जाया जाता है, तो उसे ‘संकर–परागण’ (Cross-Pollination) कहते हैं।
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