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बेरोजगारी से क्या आशय है-

बेरोजगारी से क्या आशय है-

साधारण शब्दों में वे सभी व्यक्ति जो किसी भी उत्पादक कार्य में संलग्न नहीं है बेरोजगार कहे जाते हैं आर्थिक शब्दावली में केवल वही व्यक्ति बेरोजगार माना जाता है जो अपनी योग्यता के अनुसार प्रचलित मजदूरी की दर पर कार्य करने को तत्पर होने के बावजूद उसे कार्य नहीं मिल पाता इस प्रकार की बेरोजगारी के लिए निम्नलिखित बातें आवश्यक है।

बेरोजगारी से क्या आशय है-
बेरोजगारी से क्या आशय है-

1-व्यक्ति कार्य करने के योग्य है,

2-वह कार्य करने को तत्पर है,

3-वहां पर चलित मजदूरी स्वीकार कर लेता है,

उपयुक्त के बावजूद जब उसे कार्य ना मिले तो ऐसी स्थिति को बेरोजगारी की स्थिति कहते हैं।

1-परिभाषा-

एक बेरोजगार व्यक्ति वह व्यक्ति है जो कि अपनी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार प्रचलित मजदूरी की दर पर कार्य करने को तत्पर है परंतु उसे कार्य नहीं मिल पाता।

2-ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में बेरोजगारी के स्वरूप-

भारत के संदर्भ में ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में बेरोजगारी की प्रकृति में अंतर है ग्रामीण क्षेत्रों में मौसमी एवं प्रच्छन बेरोजगारी पाई जाती है जबकि नगरीय क्षेत्रों में अधिकांशत शिक्षित बेरोजगारी पाई जाती है।

1-मौसमी बेरोजगारी-

भारत के कुछ व्यवसाय मौसमी है। यह वर्ष के कुछ ही महीने चलती है अतं इन व्यवसाओ में लगे व्यक्ति कुछ समय के लिए बेरोजगार रहते हैं इस प्रकार मौसमी बेरोजगारी उन व्यवसाओंक्ष मैं पाई जाती है जिसमें वर्ष भर काम नहीं होता ऐसे कुछ प्रमुख व्यवसाय हैं कृषि वर्ष के कारखाने चीनी की मिले आदि इसे ही मौसमी बेरोजगारी कहा जाता है इसकी प्रकृति अस्थाई होती है और इसका मुख्य कारण व्यवसाय की मौसमी प्रकृति का होना है।

2-प्रच्छन्न बेरोजगारी-

प्रच्छन्न बेरोजगारी अथवा अदृश्य बेरोजगारी आंशिक बेरोजगारी वह अवस्था है जिसमें रोजगार में संलग्न श्रम शक्ति का उत्पादन में योगदान शून्य अथवा लगभग शून्य होता है। इसका अर्थ है कि उस व्यवसाय में आवश्यकता से अधिक श्रमिक लगे हैं यदि इन्हें इस व्यवसाय से हटाकर किसी अन्य व्यवसाय हस्तांतरित कर दिया जाए और मूल्य व्यवसाय के उत्पादन में कोई कमी ना हो तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी की स्थिति कहेंगे

उदाहरण-यदि किसी व्यवसाय में 5 लोगों की आवश्यकता है और उसमें 8 लोग लगे हैं तो इस व्यवसाय में 3 लोग अतिरिक्त हैं इन तीन लोगों द्वारा किया गया अंशदान 5 लोगों द्वारा किए गए योगदान में कोई बढ़ोतरी नहीं करता यदि इन 3 लोगों को हटा दिया जाए तो व्यवसाय की उत्पादकता में कोई अंतर नहीं पड़ेगा अतः 3 लोग प्रच्छन बेरोजगार हैं।

3-शिक्षित बेरोजगारी-

नगरीय क्षेत्रों में सामान्यतः शिक्षित बेरोजगारी पाई जाती है मैट्रिक स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्री धारी अनेक युवक चाहते हुए भी रोजगार पाने में असमर्थ हैं यह एक विरोधाभासी स्थिति है की तकनीकी विषयों में अशिक्षित अनेक युवक आज बेरोजगार हैं जबकि कुछ क्षेत्रों में तकनीकी कौशल की कमी है ऐसा विवेकपूर्ण जनशक्ति नियोजन ना होने के कारण इस प्रकार शिक्षित लोगों में भी कमी एवं अधिक क्या का विरोधाभास पाया जाता है।

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