
महावीरप्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय-
1-महावीरप्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय
महावीर प्रसाद द्विवेदी (Mahavir Prasad) जी का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के दौलतपुर गाँव में सं 1864 में हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ रामसहाय दुबे था। ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। धनाभाव के कारण इनकी शिक्षा का क्रम अधिक समय तक न चल सका। इन्हें जी आई पी रेलवे में नौकरी मिल गई। 18 वर्ष की आयु में रेल विभाग अजमेर में 1 वर्ष का प्रवास। नौकरी छोड़कर मुंबई प्रस्थान एवं टेलीग्राफ का कम सीखकर इंडियन मिडलैंड रेलवे में तार बाबू के रूप में नियुक्ति। अपने उच्चाधिकारी से न पटने और स्वाभिमानी स्वभाव के कारण 1904 में झाँसी में रेल विभाग की 200 रुपये मासिक वेतन की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया
2-द्विवेदी जी का साहित्य –
क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। हिन्दी के अतिरिक्त उन्होंने अर्थशास्त्र, इतिहास, वैज्ञानिक आविष्कार, पुरात्तव, राजनीति तथा धर्म आदि विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। उनके साहित्यिक कार्यक्षेत्र को प्रधानत: चार वर्गों में रखा जा सकता है- भाषा संस्कार, निबन्ध-लेखल, आलोचना तथा आदर्श साहित्यिक पत्रकारिता।
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की प्रमुख कृतियॉं है-
काव्य संग्रह-
- काव्य मंजूषा
- कविताकलाप
- सुमन
निबन्ध- द्विवेदी जी के उत्कृष्ट कोटि के सौ से भी अधिक निबन्ध जो ‘सरस्वती’ तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।अनुवाद- द्विवेदीजी उच्चकोटि के अनुवादक भी थे। उन्होंने संस्कृत और अंग्रेजी, दोनो भाषाओं में अनुवाद किया।
- कुमारसम्भव
- बेकन-विचारमाला
- मेघदूत
- विचार-रत्नावली
- स्वाधीनता
आलोचना-
इन्हें भी पढ़ें:-बहुदलीय व्यवस्था क्या है? बहुदलीय प्रणाली के गुण और दोष?
- नाट्यशास्त्र
- हिन्दी नवरत्न
- रसज्ञरंजन
- वाग्विालास
- विचार-विमर्श
- कालिदास की निरंकुशता
- साहित्य-सौन्दर्य
सम्पादन- सरस्वती मासिक पत्रिका
भाषा-शैली- द्विवेदी जी ने साधारणतयासरल और व्यावहारिक भाषा को अपनाया है। उन्होंने अपने निबन्धों में परिचात्मक आलोचनात्मक गवेषणात्मक वयंग्यात्मक तथा समास आदि शैलियों का प्रयोग किया। कठिन-से-कठिन विषय को बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करना उनकी शैली की सबसे बड़ी विशेषता है।
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी युग-प्रवर्त्तक साहित्यकार है। हिन्दी गद्य की विकास-यात्रा में उनका ऐतिहासिक महत्तव है। गद्य-निर्माता के रूप में उनका अप्रतिम स्थान है। खड़ी बोली को काव्यभाषा के रूप में स्थापित करने का श्रेय भी द्विवेदी जी को है
कविता :
देवी स्तुति-शतक, कान्यकुब्जावलीव्रतम, समाचार पत्र संपादन स्तव, नागरी, कान्यकुब्ज-अबला-विलाप काव्य मंजूषा, सुमन, द्विवेदी काव्य-माला, कविता कलाप. अनुवाद : विनय विनोद (वैराग्य शतक – भतृहरि), विहार वाटिका (गीत गोविंद – जयदेव), स्नेह माला (शृंगार शतक – भतृहरि), श्री महिम्न स्तोत्र (महिम्न स्तोत्र), गंगा लहरी (गंगा लहरी – पंडितराज जगन्नाथ), ऋतुतरंगिणी (ऋतुसंहार – कालिदास), सोहागरात (ब्राइडल नाइट – बाइरन), कुमारसंभवसार (कुमारसंभवम – कालिदास), भामिनी-विलास (भामिनी विलास – पंडितराज जगन्नाथ), अमृत लहरी (यमुना स्तोत्र – पंडितराज जगन्नाथ), बेकन-विचार-रत्नावली (निबंध – बेकन), शिक्षा (एज्युकेशन – हर्बर्ट स्पेंसर), स्वाधीनता (ऑन लिबर्टी – जॉन स्टुअर्ट मिल), जल चिकित्सा (लुई कोने), हिंदी महाभारत (महाभारत), रघुवंश, वेणी-संहार (वेणीसंहार – भट्टनारायण), मेघदूत (कालिदास), किरातार्जुनीय (किरातार्जुनीयम् – भारवि), आख्यायिका सप्तक
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