राष्ट्रीय सेवा योजना लक्ष्य गीत-
उठे समाज के लिए उठे – उठे, जगें स्वराष्ट्र के लिए जगें-जगें ।
स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें, स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें।
हम उठे उठेगा जग हमारे संग साथियों , हम बढ़े तो सब बढ़ेंगे अपने – आप साथियों।
जमीं पे आसमान को उतार दें, जमीं पे आसमान को उतार दें।
स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें , स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें।उदासियों को दूर कर खुशी को बाँटते चलें , गाँव और शहर की दूरियों को पाटते चलें।
ज्ञान का प्रचार दें , प्रसाद दें, विज्ञान को प्रचार दें , प्रसार दें। स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें, स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें।समर्थ बाल और नारियाँ रहें सदा, हरे – भरे वनों की शाल ओढ़ती रहे धरा।
तरक्कियों की इक नई कतार दें, तरक्कियों की इक नई कतार दें।
स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें, स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें।
ये जाति धर्म बोलियाँ बनें न शूल राह की, बढ़ायें बेल प्रेम की अखण्डता की चाह की।
सद्भावना से ये चमन निखार दें , सद्भावना से ये चमन निखार दें स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें, स्वयं सजें वसुंधरा सँवार दें।
read more – राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं-
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