1-अपरिमेय संख्यां
संख्या जिसे pqpq के रूप में जहाँ pp और qq पूर्णांक हैं तथा q≠0q≠0 है, के रूप में नहीं लिखा जा सकता हो, अपरिमेय संख्या (Irrational Number) कहलाती हैं। उदारण के लिए – √22, √33, ππ, 0.101101110 . . . . , इत्यादि अपरिमेय संख्याएँ हैं।
प्रमेय (Theorem) 1.3: मान लिया कि pp एक अभाज्य संख्या है। यदि pp, a2a2 को विभाजित करती है, तो pp, aa को भी विभाजित करेगी जहाँ aa एक धनात्मक पूर्णांक है।
उपपत्ति:

मान लिया कि aa के अभाज्य गुणनखंड निम्नलिखित रूप के हैं:
a=p1,p2a=p1,p2, . . . pnpn जहाँ p2,p2p2,p2, . . . . , pnpn अभाज्य संख्याएँ हैं, परंतु आवश्यक रूप से भिन्न भिन्न नहीं है।
अत:, a2=(p1P2…pn)(p1P2…pn)a2=(p1P2…pn)(p1P2…pn)
=p21p22…p2n=p12p22…pn2
अब दिया गया है कि pp, a2a2 को विभाजित करती है। इसलिए, अंकगणित की आधारभूत प्रमेय के अनुसार; pp, a2a2 का एक अभाज्य गुणनखंड है। परंतु अंकगणित की आधारभूत प्रमेय की अद्वितीयता के गुण का प्रयोग करने पर, हम पाते हैं कि a2a2 के अभाज्य गुणनखंड केवल p1,p2,…,pnp1,p2,…,pn हैं।
अत:, pp को p1,p1,…,pnp1,p1,…,pn में से ही के होना चाहिए।
अब, चूँकि a=p1p2…pna=p1p2…pn,
अत:, pp, aa को अवश्य विभाजित करेगा।
प्रमेय (Theorem) 1.4 : √22 एक अपरिमेय संख्या है।
उपपत्ति:
हम इसके विपरीत यह मान लेते हैं कि √22 एक परिमेय संख्या है।
अत: हम दो पूर्णांक rr और ss ऐसे ज्ञात कर सकते हैं कि √2=rs2=rs हो तथा s(≠0)s(≠0)
मान लीजिए कि rr और ss में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड है। तब हम इस उभयनिष्ठ गुणनखंड से rr और ss को विभाजित करके √2=ab2=ab प्राप्त कर सकते हैं, जहाँ aa और bb सह अभाज्य (co-prime) हैं।

अत:, b√2=ab2=a हुआ।
दोनों पक्षों को वर्ग करने तथा पुनर्व्यवस्थित करने पर हमें प्राप्त होता है,
2b2=a22b2=a2 —–(i).
अत: 2, a2a2 को विभाजित करता है।
अत: हम प्रमेय 1.3 द्वार 2, aa को विभाजित करेगा।
अत: a=2ca=2c लिखा जा सकता है, जहाँ cc कोई पूर्णांक है।
समीकरण (i) में a=2ca=2c रखने पर हम पाते हैं कि
2b2=4c22b2=4c2
⇒b2=2c2⇒b2=2c2
अर्थात 2, b2b2 को विभाजित करता है और इसलिए 2, bb को भी विभाजित करेगा।
अत: aa और bb में कम से कम एक उभयनिष्ठ गुणनखंड 2 है।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि aa और bb में, 1 के अतिरिक्त, कोई उभनिष्ठ गुणनखंड नहीं है।
यह विरोधाभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने त्रुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि √22 एक परिमेय संख्या है।
अत:, √22 एक अपरिमेय संख्या है।

2-परिमेय संख्या के कुछ गुण:
एक परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का योग या अंतर एक अपरिमेय संख्या होती है, तथा
एक शून्येतर परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल या भागफल एक अपरिमेय संख्या होती है।
3-इस प्रश्नावली के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न-
प्रश्न1: निम्नलिखित संख्याओं का HCF जानने के लिये यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग कीजिए।
प्रश्न(a): 135 और 225
उत्तर: मान लीजिए कि 225 = a और 135 = b
यहाँ पर इस समीकरण का प्रयोग करते हैं जिसमें a=bq+ra=bq+r
जहाँ r≤0<br≤0<b
तो निम्नलिखित समीकरण मिलता है;
225=135×1+90225=135×1+90 जहाँ r=90r=90 है
अब यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करने के लिये मान लीजिए कि 135 = a और 90 = b
तो निम्नलिखित समीकरण मिलता है;
135=90×1+45135=90×1+45 जहाँ r=45r=45 है
अब यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करने के लिये मान लीजिए कि 90 = a और 45 = b
तो निम्नलिखित समीकरण मिलता है;
90=45×2+090=45×2+0
यहाँ पर r = 0 मिलता है।
इसलिए HCF = 45
प्रश्न2-: 196 और 38220
उत्तर: मान लीजिए कि 38220 = a और 196 = b
तो निम्नलिखित समीकरण मिलता है;
38220=196×195+038220=196×195+0
यहाँ पर r=0r=0 मिलता है।
इसलिए HCF = 196
प्रश्न3- 867 और 255
उत्तर: मान लीजिए कि 867 = a और 255 = b
तो निम्नलिखित समीकरण मिलता है;
867=255×3+102867=255×3+102 जहाँ r=102r=102 है।
अब मान लीजिए कि 255 = a और 102 = b
तो निम्नलिखित समीकरण मिलता है;
255=102×2+51255=102×2+51 जहाँ r=51r=51 है।
अब मान लीजिए कि 102 = a और 51 = b है।
तो निम्नलिखित समीकरण मिलता है।
102=51×2+0102=51×2+0
यहाँ पर r = 0 मिलता है।
इसलिए HCF = 51