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शहरी क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि कैसे की जा सकती है-

शहरी क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि कैसे की जा सकती है-

रोजगार सृजन के लिए सरकार ने एक कार्यबल यानी टास्क फोर्स का गठन किया है। कृषि में ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और ट्यूबवेल के उपयोग से श्रम की जरूरत कम हो गई है इसलिए सामान्य कृषि उत्पादों जैसे गेहूं और गन्ने का उत्पादन बढ़ाने से रोजगार पैदा नही होंगे, बल्कि इनका उत्पादन बढ़ाने से पर्यावरण का क्षय होगा और रोजगार कम होंगे।

जैसे गन्ने की खेती के लिए ट्यूबवेल के अधिक उपयोग से गांव के तालाब सूख जाते हैं और इसके चलते मछली पालन में बन रहे रोजगार समाप्त हो जाते हैैं। हालांकि महंगे कृषि उत्पादों के जरिये जरूरी रोजगार के अवसर बन सकते हैं। जैसे तरबूज को अगर चौकोर आकार का बनाना हो तो छोटे फल को चौकोर डिब्बों में डालना होता है।

शहरी क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि कैसे की जा सकती है-
शहरी क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि कैसे की जा सकती है-

फल बड़ा होने के साथ क्रमश: बड़े डिब्बे लगाने होते हैं। ऐसे तरबूज का दाम ज्यादा मिलता है और उसके उत्पादन से रोजगार के अवसर भी बनते हैं। अत: उच्च कीमत के कृषि उत्पादों की तरफ बढ़ना चाहिए। हमारे पास हर प्रकार की जलवायु उपलब्ध है।

जैसे गुलाब के फूल गर्मी में पहाड़ों पर, बरसात में दक्कन के पठार पर और जाड़े मे उत्तर प्रदेश में उगाए जा सकते है। सरकार को चाहिए कि उच्च कीमत के ऐसे कृषि उत्पादों के निर्यात पर सब्सिडी दे। वर्तमान में जैसे उर्वरक और बिजली पर दी जा रही सब्सिडी को इस दिशा मे मोड़ने से किसान पर कुल भार नही बढ़ेगा, परंतु उसकी दिशा का परिवर्तन होगा।

देश के इतिहास में पहली बार इंजीनियरिंग सीटों के मुकाबले आईटीआई की सीटों की संख्या बढ़ी है। सीटें बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी फोकस किया जा रहा है। दूसरे देशों में इंजीनियरिंगों के मुकाबले पांच गुणा टेक्नीशियन होते हैं।

सरकार का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में 25 लाख छात्रों को प्रशिक्षित किया जाए। केंद्र सरकार ने पिछले दो सालों में रि-स्ट्रक्चरल की योजना औद्योगिक विकास की ओर बढ़ने की कवायद की है। दुनिया के पैंतालिस फीसदी देशों में कौशल है।

शहरी क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि कैसे की जा सकती है-
शहरी क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि कैसे की जा सकती है-

जापान, कोरिया, अमेरिका की तरह ही देश में कौशल विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है। किसी भी क्षेत्र में अगर आगे बढ़ना है तो कौशल विकास ही एकमात्र माध्यम है। जिस तरह शिक्षा को महत्व दिया है, उसी तरह कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाए, तो रोजगार अवश्य मिलेगा।

भारत कई वर्षों तक मुख्यतः शिक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित करता रहा है और अब उसे लोगों की काबिलियत बढ़ाने एवं रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार दिया जा सके। देश कौशल विकास में कम से कम पचास साल पीछे चल रहा है।

विभिन्न राष्ट्रों के बीच भारत को एक महान शक्ति के तौर पर उभारने की चुनौती को ध्यान में रखते हुए अगले पांच साल से दस साल काफी महत्वपूर्ण है। कई विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत में महज दो फीसदी हुनरमंद लोग हैं। जिन्हें प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है।

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