अभ्रक का महत्व
अभ्रक एक बहु उपयोगी खनिज है। यह ताप एवं विद्युत का कुचालक होता है। अतः इसका उपयोग विद्युत उपकरण, रेडियो, वायुयान, औषधि निर्माण, अग्नि रोधी वस्त्रों, टेलीफोन ,नेत्र रक्षक चश्मा आदि के बनाने में किया जाता है। यह पारदर्शक एवं चमकीला होता है। अतः इसकी वर्निश एवं पेंट भी बनाए जाते हैं। अभ्रक का उपयोग बेतार का तार तथा सैन्य उपकरण बनाने में भी किया जाता है।
उत्पादक क्षेत्र
भारत के अभ्रक उत्पादन में बिहार व झारखंड राज्य अग्रणी है जहां देश का 60% अभ्रक उत्पादित किया जाता है। यहां अभ्रक उत्पादक पेटी 95 से 160 किमी लंबी तथा 19 से 26 किमी चौड़ी है।वाला आंध्र प्रदेश राज्य दूसरे स्थान पर है। यहां अभ्रक उत्पादक क्षेत्र अर्धचंद्राकार पेटी में नेल्लोर जिले से गुंटूर जिले तक 1550 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है।

अभ्रक के प्रकार
अभ्रक को मूल रूप से भागों में भाग किया गया है –
- मस्कोवाइट वर्ग
- बायोटाइट वर्ग।
अभ्रक के उपयोग
इसकी पतली-पतली परतों में भी विद्युत् रोकने की क्षमता होती है (विद्युत् का कुचालक) और जिसके कारण इसका उपयोग अनेक बिजली के उपकरणों जैसे कंडेंसर, कम्यूटेटर, टेलीफोन, डायनेमो आदि में होता है।
पारदर्शक तथा तापरोधक (ऊष्मा का कुचालक) होने के कारण यह लैंप की चिमनी, स्टोव, भट्ठियों आदि में प्रयुक्त होता है।
इस के छोटे-छोटे टुकड़े रबड़ उद्योग में, रंग बनाने में, मशीनों में चिकनाई देने के लिए तथा मानपत्रों आदि की सजावट के काम आते हैं। चिकित्सा में इसके भस्म काफी प्रचलित औषधि है जो क्षय, प्रमेह, पथरी आदि रोगों के निदान में प्रयुक्त होती है।
1. अभ्रक का महत्व क्या है
अभ्रक एक बहु उपयोगी खनिज है। यह ताप एवं विद्युत का कुचालक होता है। अतः इसका उपयोग विद्युत उपकरण, रेडियो, वायुयान, औषधि निर्माण, अग्नि रोधी वस्त्रों, टेलीफोन ,नेत्र रक्षक चश्मा आदि के बनाने में किया जाता है। यह पारदर्शक एवं चमकीला होता है। अतः इसकी वर्निश एवं पेंट भी बनाए जाते हैं।
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