
भारत में निर्धनता दूर करने के उपाय?
निर्धनता का अर्थ?
निर्धनता का अर्थ उस रासायनिक प्रक्रिया से है जिसमे मनुष्य अपने जीवन की आधारभूत या बुनियादी आवश्यकताओं को भी पूरा करने मे सक्षम नही हो पाता। जब किसी समाज का बहुत बड़ा भाग न्यूनतम जीवन स्तर से भी वंचित रहता है तथा केवल निर्वाह स्तर ही गुजारा करता है तो उस समाज मे व्यापक निर्धनता विद्यमान रहती है।
1.गोडार्ड के अनुसार ” निर्धनता एक ऐसी स्थिति है जिसमे कोई व्यक्ति स्वयं अपनी व अपने आश्रितों की समाज स्वीकृति ढंग से पूर्ति नही कर पाता।”
2.जी. के. अग्रवाल के अनुसार ” निर्धनता का तात्पर्य एक ऐसे अभावग्रस्त जीवन से है, जो समाज के सामाजिक, आर्थिक कुसमायोजन से उत्पन्न होता है तथा जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अपनी तथा अपने आश्रितों की अनिवार्य जरूरतों को पूरा करने मे असमर्थ रहता है।

भारत में निर्धनता के कारण
1. राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर-
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भारत का कुल राष्ट्रीय उत्पादन जनसंख्या की तुलना में कम है। पता प्रति व्यक्ति आय भी कम ही है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार भारत निर्धन देशों की श्रेणी में आता है।
2. विकास की धीमी दर-
भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में विकास की दर धीमी रही है।विकास की धीमी दर के कारण प्रति व्यक्ति आय का स्तर भी निम्न रहा है।
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3. मूल्यों में वृद्धि-
भारत में कीमतों में निरंतर वृद्धि हो रही है। यह वृद्धि विशेष रूप से कृषि जन्य पदार्थों में हुई है। निर्धन लोग कीमतों में वृद्धि से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। वे लोग अधिक निर्धन होते चले जाते हैं।
4. बेरोजगारी की व्यापकता-
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बेरोजगारी निर्धनता का मुख्य कारण है और भारत में अदृश्य वह शिक्षित बेरोजगारी व्यापक रूप में पाई जाती है। अब तो बेरोजगारी एक स्थाई समस्या बन गई है।
5. भारत की असमानता-
भारत में आए और धन का वितरण असमान है। आई का असमान वितरण निर्धनता की व्यापकता एवं जनता को बढ़ाता है।
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भारत निर्धनता दूर करने के उपाय
- विकास की गति को तेज किया जाए। इससे रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे और निर्धनता में कमी आएगी।
- आय एवं धन के वितरण को समानताओं को कम किया जाए।
- जनसंख्या की वृद्धि को नियंत्रित करने के प्रयास किए जाएं। इस संबंध में परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए भरसक प्रयास किए जाएं।
- कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए यथासंभव प्रयास किए जाएं।
- कीमत स्थिरता के लिए उत्पादन एवं वितरण व्यवस्था में सुधार किया जाए।
- उत्पादन तकनीक में आवश्यक परिवर्तन किया जाए।
- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
- स्वरोजगार के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं
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