भू-संरक्षण के उपाय –
भू-संरक्षण के अनेक उपाय हैं जो विभिन्न रूपों में अपनाए जा सकते हैं। इन उपायों का विवरण निम्नलिखित हैं-

1. समोच्च रेखीय जुताई
यह विधि डालू क्षेत्रों में अपनाई जाती है। इसमें डालू सतह पर सीडी नुमा खेत बनाकर जुताई समोच्च रेखीय विधि से की जाती है। इससे वर्षा जल के भाव में अवरोध उत्पन्न होता है और मृदा का कटाव रुकता है।
2.शस्यावर्तन अथवा फसलों की हेर-फेर बुवाई पद्धति-
यदि एक खेत में एक फसल की खेती लगातार की जाए तो उसमें किसी एक विशेष रासायनिक तत्व की कमी हो जाती है। अतः खेतों में फसलों को अदल बदल कर वोया जाना चाहिए।इससे मिट्टी की संरचना संतुलित रहती है तथा मिट्टी कटाव की संभावना भी न्यूनतम रहती है।
3. पशुओं की अनियंत्रित चराई पर नियंत्रण-
भूमि पर पशुओं की अनियंत्रित चराई पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। पशुओं के खुरों से भूमि की ऊपरी परत उखड़ जाती है तथा वह छोटे-छोटे पौधों को रौंद डालते हैं। उनकी शाखाएं तोड़ देते हैं तथा अनेक पौधों को जड़ से ही उखाड़ देते हैं। नेहरू के किनारे पशुओं की चराई पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए क्योंकि पशुओं के खुरो से उखाड़ने वाली मिट्टी का अपरदन तेजी से होता है।
4. वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाना-
मानव अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों का शोषण करता है। इससे वहां की मिट्टी ढीली हो जाती है। मूसलाधार वर्षा बाढ़ आती है और भूस्खलन भी होता है। अतः वनों की अनियमित कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
5. वृक्षारोपण और पुनः वनारोपण-
वनों की कटाई से पूर्व वनों की रोपाई करनी चाहिए जिससे मानव समुदाय की आवश्यकताएं पूर्ण होती रहे। खाली पड़ी भूमि पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। समय-समय पर वन महोत्सव आयोजित किए जाने चाहिए। खेतों की मेड़ों पर वृक्ष लगाए जाने चाहिए।सामाजिक वानिकी भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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