No ratings yet.

चक्रवात किसे कहते हैं?

चक्रवात किसे कहते हैं?

चक्रवात क्या है?

चक्रवात तीव्र गति से चलने वाली चक्राकार हवाएँ हैं। इन हवाओं से एक निम्न दाब केन्द्र वाला भँवर सदृश स्वरूप निर्मित होता है, जिसमें हवाएँ तीव्र गति में बाहर से अन्दर केन्द्र की ओर की ओर चलती हैं।

पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में ये पवनें घड़ी की सुइयों के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के अनुकूल दिशा में होती हैं। चक्रवात वास्तव में वायुमण्डलीय दशाओं के कारण उत्पन्न एक पर्यावरणीय आपदा भी है जिसके बनने में समय लगता है किन्तु आगमन आकस्मिक होता है।

चक्रवात का क्या कारण है?

चक्रवात कम वायुमंडलीय दबाव वाले क्षेत्रों पर केंद्रित होते हैं, आमतौर पर भूमध्य रेखा के पास गर्म समुद्र के पानी पर। समुद्र के ऊपर गर्म नम हवा सतह से ऊपर की दिशा में ऊपर की ओर उठती है, जिसके परिणामस्वरूप सतह पर निम्न दबाव क्षेत्र का निर्माण होता है।

आसपास के क्षेत्र से हवा, उच्च दबाव के साथ, कम दबाव वाले क्षेत्र में धकेलती है। ठंडी हवा गर्म और नम हो जाती है और फिर से ऊपर उठती है, इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है। जैसे ही गर्म हवा ऊपर उठती है, हवा में नमी ठंडी हो जाती है जिससे बादल बनते हैं। पूरी प्रणाली धीरे-धीरे बढ़ती है और समय के साथ तेज होती जाती है।

इसके परिणामस्वरूप, केंद्र में एक आंख बनाई जाती है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, जो निम्न-दबाव केंद्र है जिसमें ऊपर से उच्च-दबाव हवा बहती है, इस प्रकार एक चक्रवात का निर्माण होता है।

also read – भारत के प्रमुख वनस्पति उद्यान।

चक्रवात के विशिष्ट प्रभाव-

चक्रवात वायुमण्डलीय जलवायु दशाओं के कारण उत्पन्न पर्यावरणीय विपत्ति है। इसके प्रभाव से भौतिक सम्पदा ही नहीं वरन् जा -माल की भी भारी क्षति होती है। सामान्यतः इस विपत्ति के निम्नलिखित विशिष्ट प्रभाव देखे जा सकते हैं।

  • यातायात व संचार – चक्रवात में तीव्रगति की हवाओं व मूसलाधार वर्षा के कारण बिजली व टेलीफोन के खम्भे गिर जाते हैं। और यातायात अवरुद्ध हो जाता है तथा संचार प्रणाली ठप हो जाती है।
  • जान और माल का नुकसान- चक्रवात के रास्ते में पड़ने वाली भौतिक एवं जैविक सम्पदा नष्ट हो जाती है, चाहे वह मनुष्य हो, पशु हो, पक्षी हो अथवा भवनों का ढाँचा।
  • जलपोतों को सर्वाधिक हानि – जलपोत जो विस्तृत समुद्र में तैर रहे होते हैं उन्हें अत्यधिक नुकसान होता है तथा लंगर डाले खड़े जलपोत भी काफी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। कभी-कभी बन्दरगाह भी चक्रवात के कारण नष्ट हो जाते हैं।
  • फसलें – चक्रवात से खड़ी कृषि फसलों को अपार हानि होती है। केले तथा नारियल के बागों का सर्वाधिक नुकसान होता है।

also read – आपदा के दौरान बचाव के उपाय-

चक्रवात न्यूनीकरण की युक्तियाँ –

चक्रवात यद्यपि अत्यन्त विनाशकारी विपत्ति है किन्तु वर्तमान में भौतिक विकास के साथ-साथ भवन रचनाओं में तकनीकी परिवर्तनों और अन्य शमनकारी रणनीतियों द्वारा इस पर नियन्त्रण तथा क्षति न्यूनीकरण सम्भव है। चक्रवात न्यूनीकरण से सम्बन्धित मुख्य युक्तियाँ निम्नलिखित हैं।

  • चक्रवात सम्भावित क्षेत्रों में समुद्र से निकली भूमि पर नुकीली पत्तियों वाले पेड़ों की हरित पट्टी का विस्तार।
  • समुद्रतटीय भाग में विस्तृत भू-भाग पर ऊँचे चबूतरे, तटबन्ध आदि का निर्माण।
  • तटीय क्षेत्रों में घास – फूस की छतों वाले कच्चे घर बनाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए बल्कि इनके स्थान पर निश्चित विशेषताओं वाले मकान ही बनाए जाएँ।
  • चक्रवात सम्भावित क्षेत्रों में सरकार को मकान बनाने के लिए समुचित मार्गदर्शन तथा ऋण सुविधाएँ उपलब्ध करानी चाहिए।
  • सम्भावित क्षेत्रों में विशेष प्रकार के शरण-स्थल बनवाए जाने चाहिए जिनसे राहत एवं बचाव दल को सुविधा प्राप्त होगी।

प्रश्न और उत्तर (FAQ)

चक्रवात किसे कहते हैं?

चक्रवात तीव्र गति से चलने वाली चक्राकार हवाएँ हैं। इन हवाओं से एक निम्न दाब केन्द्र वाला भँवर सदृश स्वरूप निर्मित होता है, जिसमें हवाएँ तीव्र गति में बाहर से अन्दर केन्द्र की ओर की ओर चलती हैं।

चक्रवात के क्या कारण है?

चक्रवात कम वायुमंडलीय दबाव वाले क्षेत्रों पर केंद्रित होते हैं, आमतौर पर भूमध्य रेखा के पास गर्म समुद्र के पानी पर। समुद्र के ऊपर गर्म नम हवा सतह से ऊपर की दिशा में ऊपर की ओर उठती है, जिसके परिणामस्वरूप सतह पर निम्न दबाव क्षेत्र का निर्माण होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *