
चपला देवी का जीवन परिचय।
चपला देवी अपने समय की गुमनाम लेखिकाओं में से हैं।उनका जीवन – परिचय अभी तक कहीं उपलब्ध नहीं होता है। उनकी रचना को पढ़कर उनकी निम्नलिखित साहित्यिक विशेषताएँ प्रकट होती हैं-
युग संघर्ष की अभिव्यक्ति प्रमुख भाव –
चपला देवी का साहित्य अपने युग के संघर्ष को अभिव्यक्ति देता है। उन्होंने स्वतन्त्रता – संग्राम के अछूते विषय को जिस प्रकार से अभिव्यक्ति दी है उससे उनका राष्ट्रप्रेम एवं निर्भीकता प्रकट होती है।
देवी मैना के चरित्र को उजागर करनेवाली घटना, प्रधान रूप से स्वतन्त्रता – संग्राम में अंग्रेजों के भारतीयों पर अत्याचार का जीता – जागता प्रमाण है। इसे पढ़कर स्वतन्त्रता – संग्राम के दीवानों के प्रयास की झाँकी आँखों के सामने साकार हो उठती है।
भाषा शैली –
चपला देवी की संस्कृतप्रधान है । उदाहरणतया
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““अर्द्ध रात्रिके समय चाँदनीमें एक बालिका स्वच्छ उज्ज्वल वस्त्र पहने हुए नानासाहबके भग्नावशिष्ट प्रासादके ढेरपर बैठी रो रही थी।”
संस्कृत के अतिरिक्त उनकी भाषा में उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्द भी यदा – कदा देखने को मिल जाते हैं। उनकी शैली में भावोद्वेलन की अद्भुत क्षमता है।
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