
Class 10 history chapter 4 Questions & Answer in Hindi
प्रश्न 1. ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को क्यों नियुक्त किया था?
उत्तर: भारत के बुनकर न केवल ईस्ट इण्डिया कम्पनी के लिए मोटा कपड़ा बुनते थे, बल्कि अन्य यूरोपीय कम्पनियों के साथ-साथ भारतीय व्यापारियों के लिए भी इस प्रकार का कपड़ा बनाते थे।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी कपड़ा उत्पादन और व्यापार एकाधिकार पर नियन्त्रण करना चाहती थी और कपड़े की नियमित –आपूर्ति चाहती थी। अतः उसने गुमाश्तों की नियुक्ति की जो बुनकरों की निगरानी रखते थे और कच्चा माल खरीदने के लिए उन्हें पेशगी के रूप में ऋण देते थे।
प्रश्न 2. 19वीं सदी में भारत के सूती कपड़ा उद्योग की गिरावट के मुख्य कारण क्या थे?
उत्तर: 19वीं सदी में भारत के सूती कपड़ा उद्योग की गिरावट के मुख्य कारण निम्नलिखित थे।
- विदेशी वस्त्र उत्पादों के आयात से बुनकरों का निर्यात बाजार धराशायी हो गया।
- भारतीय बाजारों में मैनचेस्टर निर्मित वस्त्र उत्पादों के बड़े पैमाने पर आयात से इनका स्थानीय बाजार तेजी से सिकुड़ने लगा।
- कम लागत पर मशीनों से बनने वाले कपास उत्पाद इतने सस्ते होते थे कि भारतीय बुनकर उनका मुकाबला नहीं कर सकते थे।
- अमेरिका में गृहयुद्ध प्रारम्भ होने के कारण जब वहाँ से कपास आना बन्द हो गया तो ब्रिटेन भारत से कच्चा माल मँगाने लगा। भारत से कच्चे कपास के निर्यात में इस वृद्धि से उसकी कीमतें आसमान छूने लगीं। भारतीय बुनकरों को कच्चे माल के लाले पड़ गए। उन्हें अधिक मूल्य पर कच्चा कपास खरीदना पड़ता था। ऐसी दशा में बुनकर कला से परिवार का भरण-पोषण करना कठिन था।
प्रश्न 3. प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ने के क्या कारण थे?
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उत्तर: प्रथम विश्वयुद्ध के समय निम्नलिखित कारणों से भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ा।
- ब्रिटेन के कल-कारखाने सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए युद्ध सम्बन्धी उत्पाद में व्यस्त थे, इसलिए भारत में उपभोक्ता वस्तुओं और कपड़े का आयात कम हो गया और देश का औद्योगिक उत्पादन बढ़ गया।
- भारतीय उद्योगों के लिए यह एक अच्छा अवसर था। उन्हें इतनी जल्दी एक विशाल देशी बाजार मिल गया था। इस प्रकार औद्योगिक उत्पादन बढ़ गया।
- युद्ध दीर्घकाल तक चला तो भारतीय कारखानों में भी फौज के लिए जूट की बोरियाँ, फौजियों की वर्दी बनाने के लिए कपड़ा, टैण्ट, चमड़े के जूते, घोड़े व खच्चर की जीन तथा बहुत सारे अन्य सामान बनने लगे।
- बढ़ती माँग के कारण नये कारखाने लगाए गए। पुराने कारखाने कई पालियों में चलने लगे।
प्रश्न 4. उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे?
उत्तर: उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे; क्योंकि
- मशीनें महँगी, अप्रभावी, मरम्मत में कठिन और बड़ा पूँजी निवेश माँगती थीं।
- मजदूर आसानी से और सस्ती दरों पर उपलब्ध थे।
- बाजार में तरह-तरह के डिजाइन, रंग और खास लम्बाई की माँग रहती
थी, जिसे मशीनों से पूरा नहीं किया जा सकता था। इसको केवल हाथ से बने कपड़े द्वारा ही पूरा किया जा सकता था। इसके लिए मजदूरों की जरूरत पड़ती थी।
प्रश्न 5. फ्लाईशटल के आने से हथकरघा कामगारों की उत्पादकता में क्या प्रभाव पड़ा।
उत्तर: फ्लाईशटल के आने से कम समय में बहुत अधिक कपड़ा तैयार होने लगा। परिणामस्वरूप हथकरघा कामगार या तो मजदूरी करने लगे या बेकार हो गए और नगरों में यहाँ-वहाँ घूमने लगे। इससे गाँव उजड़ गए और औद्योगिक नगर बसने लगे।
प्रश्न 6. ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले क्यों किए?
उत्तर: ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले इसलिए किए क्योंकि इस मशीन के कारण उनके काम छीने जा रहे थे। इन महिलाओं के साथ उनके पति तथा परिवारजनों में से पुरुष भी आगे आए क्योंकि उनकी काम करने वाली महिलाओं से रोजगार छीना जा रहा था। शारीरिक श्रम की माँग घटती जा रही थी। औरतों ने हंगामा मचाया। वे बेरोजगारी फैलने के डर से ऐसा कर रहीं थीं।
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