डेनियल सेल किसे कहते हैं, उपयोग, कार्यविधि: डेनियल सेल एक प्रारूपिक गैल्वेनिक सेल है इस सेल में दो प्रकार के विलयन CuSO₄ तथा ZnSO₄ प्रयुक्त किए जाते हैं तथा दोनों विलयनो का संपर्क एक U आकर की नली के साथ होता है, जिसे लवण सेतु कहते है।
12th, Chemistry, Lesson-3
डेनियल सेल की कार्यविधि
जिंक सल्फेट (ZnSO₄) विलयन में Zn²⁺ आयन होते है। जब जिंक की पट्टी इस विलयन के संपर्क में आती है, तो इलेक्ट्रोड जिंक विलयन में Zn²⁺ के रूप में घुलने लगता है और इस क्रिया में प्रत्येक परमाणु दो इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रोड पर छोड़कर Zn²⁺ बनाकर विलयन में आ जाता है। यह परिवर्तन जिंक धातु का Zn²⁺ में ऑक्सीकरण कहलाता है।
Zn(s) → Zn²⁺ (aq) + 2e⁻
यह क्रिया जिंक आयनों और इलेक्ट्रोड के बीच साम्य स्थापित होने तक चलती रहती है। जब इसमें साम्य स्थापित हो जाता है तो विलयन के बीच एक निश्चित विभवांतर आ जाता है, जिसे एकल इलेक्ट्रोड विभव कहते है। जब जिंक के इलेक्ट्रॉन तार से होते हुए कॉपर के इलेक्ट्रोड पर इकट्ठे हो जाते हैं तो यह परिवर्तन विलयन में कॉपर आयनों का अपचयन करता है।
Cu²⁺ (aq) + 2e⁻ →Cu(s)

इलेक्ट्रॉनों के इस प्रवाह के कारण विद्युत धारा उत्पन्न होती है। जब जिंक इलेक्ट्रोड से कॉपर इलेक्ट्रोड की ओर इलेक्ट्रॉन के बहाव के फलस्वरुप जिंक इलेक्ट्रोड का आयनन यानी घुलना और कॉपर इलेक्ट्रोड पर कॉपर का जमना पड़ता है बढ़ता है तो इलेक्ट्रोड जिस पर ऑक्सीकरण करता है उसे एनोड और जिस पर अवकरण करता है उसे कैथोड छोड़ कहते हैं। अतः जिंक छड़ सेल का ऋण तथा कॉपर छड़ धन टर्मिनल कहलाते है।
लवण सेतु के कार्य
ये U आकर के शीशे की नली होती है। जिसमे KCL या KNO का संतृप्त विलयन भरा रहता है और यह दो विलयनो को आपस में जोड़ता है।
- यह सेल परिपथ को पूरा करता है।
- ये दोनों विलयनो को आपस में मिलने से रोकता है।
- यह लिक्विड जंक्शन विभव को कम करता है।
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