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दिक्पात कोण, नमन कोण या नति कोण तथा भू-चुम्बकत्व क्या है?

दिक्पात कोण, नमन कोण या नति कोण तथा भू-चुम्बकत्व क्या है?

angle of declination in hindi: मेरी वेबसाइट में आपका स्वागत है, मैंने इस पोस्ट में दिक्पात कोण, नमन कोण या नति कोण तथा भू-चुम्बकत्व क्या है, इसके बारे में पूरी जानकारी दी है, अगर आप जानकारी पाना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को पूरा पढ़िए।

दिक्पात कोण क्या है

पृथ्वी के चुंबकीय याम्योत्तर एवं भौगोलिक याम्योत्तर के बीच बने न्यून कोण को दिक्पात कोण कहते हैं।

किसी स्थान पर दिक्पात कोण ज्ञात करने के लिए प्रयोग को भौगोलिक याम्योत्तर और चुंबकीय याम्योत्तर निम्न दो भागों में बांटा गया है।

दिक्पात कोण, नमन कोण या नति कोण तथा भू-चुम्बकत्व क्या है?

भौगोलिक याम्योत्तर

भौगोलिक अक्ष से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को भौगोलिक याम्योत्तर कहते हैं।

दिक्पात कोण, नमन कोण या नति कोण तथा भू-चुम्बकत्व क्या है?

चुंबकीय याम्योत्तर

यदि चुंबक स्वतंत्रतापूर्वक लटक रहा हो तो चुंबकीय अक्ष से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को चुंबकीय याम्योत्तर कहते हैं। चुंबक के सिरों के निकट स्थित जिन बिंदुओं पर उसका चुम्बकत्व सर्वाधिक होता हैं, उसे ध्रुव कहते हैं।

दिक्पात कोण, नमन कोण या नति कोण तथा भू-चुम्बकत्व क्या है?

भौगोलिक चुंबकीय विषुवत रेखा

भौगोलिक अक्ष के लंबवत पृथ्वी तल पर सबसे बड़े वृत्त को भौगोलिक विषुवत रेखा कहते हैं।

भू-चुंबकीय अक्ष

भू-चुंबकीय ध्रुवो को मिलाने वाली रेखा भू-चुंबकीय अक्ष कहलाती हैं।

भू-चुंबकीय तत्व

किसी भी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकत्व के अध्ययन के लिए जिन भौतिक राशियों की आवश्यकता होती है, उन्हें भू-चुंबकीय तत्व कहते हैं।

दिक्पात

किसी स्थान पर चुंबकीय याम्योत्तर और भौगोलिक याम्योत्तर के बीच के न्यून कोण को उस स्थान का चुंबकीय दिक्पात या केवल दिक्पात करते हैं, इसका मान स्थान-स्थान पर बदलते रहता है।

नमन कोण या नति कोण

किसी स्थान पर ऊर्ध्वाधर तल में अपने गुरुत्व केंद्र पर घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबक का चुंबकीय अक्ष गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली क्षैतिज रेखा के साथ जो कौन बनाता है। उसे उस कोण का नमन कोण या नति कोण कहते हैं।

दिक्पात कोण, नमन कोण या नति कोण तथा भू-चुम्बकत्व क्या है?

भू-चुम्बकत्व

पृथ्वी एक चुंबक की भांति व्यवहार करती है। पृथ्वी के चुम्बकत्व को भू-चुम्बकत्व कहते हैं।

भू-चुम्बकत्व के प्रमाण

  1. क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबक का उत्तरी व दक्षिण दिशा में ठहरता है।
  2. पृथ्वी के अंदर उत्तर-दक्षिण दिशा में गढ़े लोहे की छड़ का चुंबक बन जाना।
  3. उदासीन बिंदुओं का अस्तित्व होना।
  4. पृथ्वी तल के समीप ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबकीय सुई का पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न व्यवहार करना है।

अंतिम निष्कर्ष– दोस्तों आपको मेरे द्वारा बताई गई जानकारी की दिक्पात कोण, नमन कोण या नति कोण तथा भू-चुम्बकत्व क्या है?, उम्मीद है आपको यह पसंद आई होगी।

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