चिंताजनक जनसंख्या वृद्धि और संसाधनों की कमी-
भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 16% है। आजादी के समय यह 33 करोड़ थी, किंतु सन 2011 में संपन्न जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ है।भारत के लिए आबादी का इस्तेमाल गति से बढ़ना विशेष रूप से चिंता का कारण इसलिए है कि भारत की आबादी तो विश्व की कुल आबादी का 16% है।
और इसके पास रहने के लिए विश्व की कुल भूमि का 2% ही है। इस प्रकार यहां जनसंख्या का घनत्व बहुत बढ़ गया है तथा सारी जनसंख्या के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं है।संक्षेप में संसाधनों और सुविधाओं की तुलना में उपभोक्ताओं की संख्या कहीं तेज रफ्तार से बढ़ती गई है। यदि यह कहा जाए कि यह एक अनार सौ बीमार की स्थिति है तो गलत नहीं होगा। प्रतिदिन भर्ती यह बीड़ा चिंता का कारण बन गई है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण-
भारत में जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण है मृत्यु दर में कमी।जन्म दर कम करने के सरकारी कार्यक्रमों का उतना उत्साहजनक परिणाम सामने नहीं आया अतः जनसंख्या वृद्धि का दूसरा कारण जन्म दर में कमी ना आना भी है। अनपढ़ गरीब और अंधविश्वासी जनता जनसंख्या वृद्धि के दुष परिणामों से लगभग अंजान सी है।
जनसंख्या घटाने का महत्व व समझती ही नहीं है। समस्या का रूप यो है कि जिनके पास ना रहने को घर है, न खिलाने को रोटी ऑडियो शिक्षा के प्रति पूर्ण तो उदासी में जन्म दर उनके तबके में सर्वाधिक है।भूख बीमारी गंदगी कुपोषण विरुद्ध कार्य तथा अन्य अनेक प्रकार की समस्याएं उनके साथ चलती हैं।
भारत में जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएं-
जनसंख्या वृद्धि से सबसे बड़ी हानि तो यह है कि यहां बेरोजगारी की भीड़ बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी से समाज में अपराध बढ़ रहे हैं। यद्यपि सरकारी और गैर सरकारी तथा निजी स्तर पर स्कूल कॉलेज अस्पताल आदि खुल रहे हैं फिर भी जनसंख्या के भारी दबाव के कारण यह सारे प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा ही है।
जो भी व्यवस्था की जाती है। सब व्यर्थ ही लगती है। बाजारों में में भयंकर भीड़ है। सड़कों पर भी भीड़ है। तीन-चार दिन बाद कहीं आपका नंबर आता है। यह सब दुष्परिणाम जनसंख्या की अधिकतम का है। हरित क्रांति तो हुई प्रदेश का किसान ही भूखा मर रहा है। बढ़ती जनसंख्या की सुविधा के लिए वाहनों की उत्पादकता बढ़ती तो सड़कों पर दुर्घटना की संख्या भी बढ़ गई।