
विद्युत अपघटनी चालकता और विशिष्ट चालकता किसे कहते है
विद्युत अपघटनी चालकता के बारे में
विद्युत अपघटनी चालकता, विशिष्ट चालकता: ये वे पदार्थ है जो अपनी पिघली हुई अवस्था में या जलीय विलयन में विद्युत धारा का चालन करते हैं तथा इनका रासायनिक अपघटन हो जाता है।
उदाहरण- NaCH, H2SO4, KCl, NaCl, HCl, HNO3 आदि।
12th, Chemistry, Lesson-3
विशिष्ट चालकता
किसी विद्युत अपघट्य के एक घन सेंटीमीटर विलयन की चालकता को विशिष्ट चालकता कहते हैं। इसे K (Kappa) से प्रदर्शित करते है। विशिष्ट चालकता विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम होता है।
विद्युत अपघट्य के प्रकार
विद्युत अपघट्य निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं प्रबल विद्युत अपघट्य, दुर्बल विद्युत अपघट्य।
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प्रबल विद्युत अपघट्य
वे अपघट्य जो आसानी से जलीय विलयन में लगभग पूर्णतः आयनित हो जाते है, प्रबल विद्युत अपघट्य कहलाते है।
उदाहरण- NaCl, KCl, NaOH, CuSO₄, H₂SO₄, HCl, KOH, CH₃COONa आदि।
दुर्बल विद्युत अपघट्य
वे विद्युत अपघट्य जिनका जलीय विलयन में बहुत कम आयनन होता है तथा अत्यधिक तनु करने पर भी पूर्ण आयनन नहीं होता है, दुर्बल विद्युत अपघट्य कहलाते है।
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उदाहरण- CH₃COOH, NH₄OH आदि।
धात्विक चालक
ये वे धातुए होती है, जो अपने में से आसानी से विद्युत धारा प्रवाहित होने देती है, किंतु उनमें कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं होता है।
उदाहरण- Cr, Fe, Na, Cu, Au, Ca, Ag, Ni आदि।
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धात्विक चालक और विद्युत अपघटन चालक में अंतर
धात्विक चालकता | विद्युत अपघटनी चालकता |
1. इसमें विद्युत धारा का चलन इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण होता है। | इसमें विद्युत धारा का चालन आयनों की गति के कारण होता है। |
2. इस क्रिया में पदार्थ का स्थानांतरण नहीं होता है। | इसमें आयनों के रूप में पदार्थ का स्थानांतरण होता है। |
3. ताप बढ़ाने पर धात्विक चालकता के मान में कमी होती है। | ताप बढ़ाने से विद्युत अपघटनी के मान में वृद्धि होती है। |
4. धात्विक चालकता से चालक के रासायनिक गुणों में कोई परिवर्तन नहीं होता है। | विद्युत अपघटनी चालकता से रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता है। |
अपघटनी चालकता को प्रभावित करने वाले कारक
- किसी विद्युत अपघटय के विलयन में आयनों की संख्या जितनी अधिक होती है, विलयन की चालकता उतनी ही अधिक होती है।
- किसी विद्युत अपघटन के विलयन में आयनों की गति जितनी अधिक होती है, विलयन की चालकता उतनी ही अधिक होगी।
- विलेय पदार्थों के आयनों का विलायकीकरण जितना अधिक होता है, उनके विलयन की चालकता उतनी ही कम होती है।
- विलयन का ताप बढ़ाने पर विलयन की चालकता बढ़ती है।
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