
पर्यावरण-प्रदूषण पर निबंध(Essay on environment pollution)
पर्यावरण प्रदूषण
संकेत-बिंदु-(1) प्रस्तावना : पर्यावरण-प्रदूषण का अर्थ (2) पर्यावरण-प्रदूषण के कारण, (3) पर्यावरण-प्रदूषण के प्रकार, (4) पर्यावरण-प्रदूषण का निवारण, (5) उपसंहार।
प्रस्तावना : पर्यावरण-प्रदूषण का अर्थ-
पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ है-चारों और का वातावरण। वैज्ञानिक दृष्टि से पर्यावरण से अभिप्राय उस वायुमंडल से है, जिसमें हम सांस लेते हैं, जीते हैं। इसके अंतर्गत, पृथ्वी, जल, आकाश, ध्वनि आदि से युक्त प्रकृति का संपूर्ण परिवेश आ जाता है।इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण से तात्पर्य उस प्राकृतिक असंतुलन से है, जो प्रकृति की आवाज आवरण में पैदा हो गया है।
पर्यावरण-प्रदूषण के कारण-
पर्यावरण-प्रदूषण के अनेक कारण हैं, परंतु इसका सबसे बड़ा कारण तीव्र गति से हो रही वैज्ञानिक प्रगति है। भौतिक सुविधाओं को जुटाने के लिए बड़े बड़े कारखानों से युक्त औद्योगिक नगर बस गए हैं।उनका रासायनिक कूड़ा कचरा गंदा जल ,मशीनों का सूट सब मिलकर हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं।
विभिन्न आधुनिक उपकरणों के प्रयोग से उत्पन्न सीएफसी गैसों के उत्सर्जन में वायुमंडल की ओजोन परत में छेद कर दिया है।परमाणु विस्फोटों से मैदान और पहाड़ सब कहां उठे हैं। यंत्रों के प्रयोग से उत्पन्न ऊष्मा, धुएं एवं ध्वनि से वातावरण मैं गर्मी बढ़ गई है, जिससे धरती मौसम बदल जाने के संकट से जूझ रही हैं।
जनसंख्या विस्फोट भी पर्यावरण प्रदूषण का एक बड़ा कारण है।जनसंख्या की अधिकता के कारण पर्यावरण असंतुलन बड़ा है। जल, आवास आदि आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों को काटा जा रहा है। शहरीकरण से गंदगी बड़ी है। शोर, तनाव और अनेक संक्रामक रोगों से लोग गिर रहे हैं।
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पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार-
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार हैं-
1-जल प्रदूषण-
2-वायु प्रदूषण
3-ध्वनि प्रदूषण
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4-रेडियोधर्मी प्रदूषण
1.जल प्रदूषण-
जल प्रदूषण का मुख्य कारण मानव या जानवरों की जैविक या फिर औद्योगिक क्रियाओं के फलस्वरूप पैदा हुये प्रदूषकों को बिना किसी समुचित उपचार के सीधे जल धारायों में विसर्जित कर दिया जाना है। जल में विभिन्न प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल प्रदूषण होता है।
2. वायु प्रदूषण-
वायु प्रदूषण एक ऐसी परिस्थिति है, जिसमें बाह्य वायुमंडल में ऐसे पदार्थ एकत्रित हो जाते हैं जो मनुष्य एवं उसके पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं।” … इस प्रकार छिड़काव से ये विषैले रसायन वाष्प तथा सूक्ष्म कणों के रूप में वायुमण्डल के विस्तृत क्षेत्र में व्याप्त हो जाते हैं तथा गम्भीर वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
3. ध्वनि प्रदूषण-
यह मानव जनित प्रदूषण है। इसने पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित किया है। मुख्यतः यातायात के साधन, जैसे हवाई जहाज, रेल, ट्रक, बस या निजी वाहन आदि, इस तरह के प्रदूषण फैलाते हैं। इनके अतिरिक्त फैक्ट्रियाँ, तेज ध्वनि वाले लाउडस्पीकर, निर्माण कार्य आदि से भी ध्वनि प्रदूषण फैलता है।
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4.रेडियोधर्मी प्रदूषण–
रेडियोधर्मी प्रदूषण का अर्थ उस दशा या स्थिति से है, जब ठोस, द्रव एवं गैसीय पदार्थो में रेडियोधर्मी विकिरण अनायास रूप से उपस्थित या प्रकट हो जाती है, एवं जिससे जीव-जन्तुओ व् मनुष्यों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है| कई बार रेडियोधर्मी प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ जाता है, की इससे जीवो की मृत्यु तक हो सकती है|
पर्यावरण-प्रदूषण का निवारण-
पर्यावरण प्रदूषण का निवारण सरकार से अधिक जनता का उत्तरदायित्व है। इसे रोकने का सर्वव्यापी उपाय है-जन चेतना या जन जागरण। जनता और सरकार दोनों को मिलकर पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम पर गंभीरता से कार्य करना चाहिए।
इसके कुछ उपाय हैं-वनों का संरक्षण, वृक्षारोपण, वन उपवन की रक्षा, प्रदूषित जल और मल के निस्तारण की उचित व्यवस्था करना,ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाना विश्व का परमाणु निरस्त्रीकरण आदि सामाजिक और जनहितकारी नियमों के उल्लंघन पर दोषी को दंडित करना भी एक नियंत्रणकारी के उपाय है।
उपसंहार-
यदि हम मानव जीवन की चौमुखी उन्नत जाते हैं तो हमें पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम पर ध्यान देना होगा। प्रकृति ने हमें एक सुंदर स्वस्थ वातावरण प्रदान किया है।हम स्वयं इस पर्यावरण को दूषित करके वैसा ही कार्य कर रहे हैं, जैसे कि कोई उसी डाल को काटे जिस पर वह बैठा हो।
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केवल भौतिक उन्नति मानव जीवन का ध्येय नहीं है।यदि वैज्ञानिक विकास से स्वयं मनुष्य की प्राण संकट में पड़ जाती है तो वैज्ञानिक समृद्धि पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। हमें पर्यावरण के प्रत्येक प्रदूषण को रोकने के लिए गंभीर और सक्रिय होना पड़ेगा। आज की यह सर्व मुख्य आवश्यकता है।
1.पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार कौन से हैं-
उत्तर-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण