वनों का दोहन –
पृथ्वी के तापमान बढ़ने का सबसे महत्वपूर्ण कारण angre टाई और बढ़ता हुआ औद्योगिकीकरण नाही कटावासी गति से चलती रही . तो ग्लोबल वार्मिग को रोकना सम्भव नहीं होगा। 1980-90 का दशक पृथ्वी के इतिहास का सबसे गर्म दशक माना गया , तब हात हुआ कि पृथ्वी का तापमान बढ़ने से रोकना है , तो वातावरण ग्रीन हाउस गैसों का स्तर कम करना होगा।

वाई यातायात –
बढ़ते हवाई यातायात के कारण भी वायुमण्डल का तापमान तीज गति से बढ़ रहा है जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा गम्भीर रूप ले रहा है। एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक चार हजार मील की हवाई यात्रा से लगभग एक टन कार्बन डाईऑक्साइड का वायुमण्डल में उत्सर्जन होता है।ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसों में से यह प्रमुख गैस है।
पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे गैर सरकारी संगठन एनवायर्न के अनुसार विमान वायुमण्डल में कार्बन – डाईऑक्साइड के अलावा नाइट्स ऑक्साइड जैसी खतरनाक और जहरीली गैस और जल वाष्प भी छोड़ते हैं।
इससे अत्यधिक ऊंचाई पर कार्बन-डाईऑक्साइड से दो गुना से ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग होती है।हवाई यातायात से होने वाले प्रदूषण का एक और खतरनाक पहलू यह है कि कम ऊंचाई के मुकाबले 28 से 40,000 फीट की उचाई पर श्रीन हाउस गैसों का सबसे अधिक प्रभाव होता है।
इतनी ऊंचाई पर प्रदूषणकारी तत्व कम ऊंचाई की तुलना में 500 गुना ज्यादा समय तक पानी 6 महीनों तक वायुमण्डल में रहते है। अत्याधिक ऊंचाई पर कम तापमान के कारण जलवायु पर इनका प्रभाव भी बढ़ जाता है। इतनी ऊंचाई पर एक लीटर ईधन जलाने से , धरती के निकट एक लीटर ईधन जलाने की तुलना में दो गुना ज्यादा प्रदूषण फैलता है।
धुआं –
विद्युत उत्पादन केन्द्रों , उद्योगों में कोयला एवं खनिज तेल के दहन से चिमनियों से , यातायात के साधनों में दहन होने वाले ईंधन से तथा घरेलू उपयोग के दौरान लकड़ियों के दहन से co , गैस का भारी मात्रा में विमोचन होता है।
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