• Home
  • /
  • Other
  • /
  • पारिस्थितिक तंत्र कितने प्रकार के होते हैं?
No ratings yet.

पारिस्थितिक तंत्र कितने प्रकार के होते हैं?

पारिस्थितिक तंत्र कितने प्रकार के होते हैं

हेलो दोस्तों मेरा नाम भूपेंद्र है। और आज के आर्टिकल में हम आपको बताएंगे पारिस्थितिक तंत्र कितने प्रकार के होते हैं? हम इसके बारे में आपको पूरी जानकारी देंगे इसलिए आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?

वास्तव में हमारी पृथ्वी एक वृहद परितंत्र है, जिसमें विभिन्न प्रकार के परितंत्र क्रियाशील रहते हैं। लघु स्तर पर एक गांव, एक आवासीय परिसर, एक झील, नदी या तालाब आदि का भी अपना परितंत्र होता है।

प्रत्येक प्रकार के परितंत्र में भौतिक अवस्थाओं की विविधताएं एवं विभिन्न प्रकार के जीवो के विशिष्ट अंत संबंध पाए जाते हैं। इस दृष्टि विभिन्न प्रकार के परितंत्रओं का सामान्य परिचय और विशेषताएं निम्नलिखत है-

पारिस्थितिक तंत्र कितने प्रकार के होते हैं
पारिस्थितिक तंत्र कितने प्रकार के होते हैं

(1) वन परितंत्र-

वृक्ष प्रधान प्राकृतिक पौधों के समुदायों को वन कहा जाता है। वन परितंत्र को जीवोम (Biom) भी कहा जाता है। वन परितंत्र की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है-

  1. वन परितंत्र में कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ मृदा एवं वायुमंडलमंडल में विद्यमान होते हैं।
  2. इस परितंत्र में विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे उत्पादक के रूप में होते हैं।
  3. वन परितंत्र में तीन प्रकार के उपभोक्ता पाए जाते हैं-प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक।
  4. वन परितंत्र में अनेक प्रकार के छोटे-छोटे सूक्ष्म जीव होते हैं। इनमें कवक और जीवन तथा एंटी नो मायटीज पाए जाते हैं।

(2) घास भूमि परितंत्र-

पृथ्वी के उन भागों में जहां शीतकाल काफी ठंडा और ग्रीष्म काल काफी गर्म होता है, वहां घास भूमि परितंत्र की प्रधानता होती है। स्थलीय भाग पर घास भूमि का विस्तार पाया जाता है। घास परितंत्र की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. इस परितंत्र में बच्चों की उपस्थिति अल्प मात्रा में पाई जाती है।यहां कुछ झाड़ियों वाले पौधे एवं विभिन्न प्रकार की खास उत्पादक के रूप में मिलती है।
  2. काश भूमि परितंत्र में वियोजक के रूप में अनेक प्रकार के कवक और जीवाणु पाए जाते हैं।
  3. घास भूमि परितंत्र में भी तीनों प्रकार के उपभोक्ता होते हैं।

(3) मरुस्थलीय परितंत्र-

पृथ्वी पर जहां 25 सेमी से कम वर्षा होती है उन क्षेत्रों में मरुस्थलीय वन परतंत्र का विकास होता है। मरुस्थलीय परितंत्र की प्रमुख विशेषताओं का विवरण इस प्रकार है-

  1. इस परितंत्र में कम वर्षा तथा उच्च तापमान मिलता है मरुस्थलीय परितंत्र में अक्षय शक्तियों की प्रबलता होती है अतः रेतीली मिट्टी का निर्माण अधिक होता है।
  2. मरुस्थलीय परितंत्र में उपभोक्ताओं के रूप में अनेक प्रकार के कीट , पूर्वानूकूली, जीव तथा सरीसृप मिलते हैं।
  3. सूज गया मुरलिया परितंत्र में अपघटन क्रिया कम होती है।

(4) जलीय परितंत्र –

जलीय परतंत्र अनेक प्रकार के होते हैं। इनमें लघु स्तर पर झील, तालाब, नदियां मृदुल जलीय परितंत्र तथा खाडी सागर महासागर आदि परतंत्र देखे जा सकते हैं।

1.पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?

वास्तव में हमारी पृथ्वी एक वृहद परितंत्र है, जिसमें विभिन्न प्रकार के परितंत्र क्रियाशील रहते हैं। लघु स्तर पर एक गांव, एक आवासीय परिसर, एक झील, नदी या तालाब आदि का भी अपना परितंत्र होता है।

read more – घर्षण कितने प्रकार के होते हैं?

read more – लोकतंत्र के गुण और दोषों की चर्चा कीजिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *