हेलो दोस्तों मेरा नाम है भूपेंद्र और आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे प्रकाश वैद्युत प्रभाव के नियम क्या है इसके बारे में हम आपको पूरी जानकारी देंगे इसलिए आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
प्रकाश-वैद्युत उत्सर्जन के नियम-
- किसी धातु की सतह से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर, धातु की सतह पर गिरने वाले प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होते हैं।
- उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा, आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करती है।
- प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा, आपतित प्रकाश की आवृत्ति के बढ़ने पर बड़ती है।
- यदि आपतित प्रकाश की आवृत्ति,एक न्यूनतम आवृत्ति से कम है तो धातु की सतह से कोई भी इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं होता है। इस न्यूनतम आवृत्ति को देहली आवृत्ति कहते हैं। देहली आवृत्ति का मान भिन्न-भिन्न धातुओं के लिए भिन्न भिन्न होता है।
- धातु की सतह पर प्रकाश के गिरने तथा धातु की सतह से इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जित होने के बीच कोई समय पश्चात नहीं होती अर्थात धातु की सतह पर प्रकाश के गिरते ही इलेक्ट्रान उत्सर्जित होने लगते हैं।

प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन की व्याख्या करने में तरंग सिद्धांत की विफलता– प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन के प्रेक्षित अभी लक्षणों को प्रकाश के तरंग सिद्धांत द्वारा नहीं समझाया जा सकता है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- तरंग सिद्धांत के अनुसार आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर तरंगों का आयाम बढ़ेगा जिसके कारण तरंगों द्वारा संचालित ऊर्जा बढ़ेगी, फल स्वरूप अधिक तीव्रता का प्रकाश आपतीत होने पर धातु के इलेक्ट्रॉनों को अधिक ऊर्जा मिलेगी। पता उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा बढ़ेगी जो की परयोगिक तथ्य के विपरीत है।
- तरंग सिद्धांत के अनुसार यदि आपतित प्रकाश की तीव्रता इतनी है कि वह धातु से इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्रदान कर सके तो आपतित प्रकाश की आवृत्ति चाहे कुछ भी हो, धातु तल से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने चाहिए।
- तरंग सिद्धांत के अनुसार प्रकाश तरंगों द्वारा संचालित ऊर्जा धातु किसी एक इलेक्ट्रॉन को नहीं मिलती बल्कि धातु के प्रकाशित क्षेत्रफल में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉनों में विपरीत होती है।
read more – फसल चक्र से क्या समझते हैं ?
read more – भारत में निर्धनता दूर करने के उपाय?
click here – click