आपदा या किसी दुर्घटना के पश्चात् एक पीड़ित को , किसी उपयुक्त डॉक्टरी सहायता मिलने से पहले, जो चिकित्सा सहायता दी जाती है , उसे प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं।
- जीवन को बचाए रखना
- स्थिति को बिगड़ने से रोकना
- जहाँ तक संभव हो, स्थिति में सुधार करना।
जो व्यक्ति प्राथमिक उपचार कार्य कर रहा हो, उसे सहायता कार्य का पूरा ज्ञान होना चाहिए, दूसरों की सेवा करने में पूर्ण निष्ठा होनी चाहिए और हर स्थिति में शांत रहना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को मानव शरीर से सम्बन्धित नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र , श्वांस सम्बन्धी तंत्र का ज्ञान होना चाहिए तभी वह पीड़ित को उचित प्राथमिक सहायता उपलब्ध करा सकता है। प्राथमिक सहायता का अर्थ इलाज करना नहीं, वरन् इलाज करने तक पीड़ित को बचाए रखना होता है।

पीड़ित को प्राथमिक सहायता देते समय अलग – अलग प्रकार की सहायता की आवश्यकता होती है। उपचार बैग में मुख्य रूप से निम्नलिखित वस्तुएँ अवश्य होनी चाहिए- विभिन्न प्रकार की पट्टियाँ , रूई के कुछ पैकेट, छोटी कैंची, डिटॉल या सेवलोन, साबुन, थर्मामीटर, दस्ताने, एक मग या गिलास , पीड़ानाशक दवा , चिपकाने वाली टेप, ओ .आर.एस.घोल के पैकेट आदि।
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