पूर्ण तथा अपूर्ण बाजार के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
पूर्ण बाजार-
जब किसी वस्तु के बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति पाई जाती है, तो वह पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार अथवा ‘पूर्ण बाजार’ कहलाता है। पूर्ण बाजार में स्वतंत्र रूप में कार्य करने वाले क्रेताओं तथा विक्रेताओं की बहुत बड़ी संख्या होती है। उन्हें बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है।

बाजार में परस्पर कोई स्नेहा नहीं होता। सारे बाजार में समरूप वस्तु का ही विक्रय होता है। बाजार में वस्तु के उत्पादकों को उत्पादन शुरू करने और बंद करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है। परिणामत पूर्ण बाजार में किसी वस्तु का एक ही मूल्य प्रचलित होता है।
अपूर्ण बाजार-
जब किसी बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता अथवा पूर्ण बाजार की अनुपस्थिति पाई जाती है, तब उसे अपूर्ण बाजार कहते हैं। अन्य शब्दों में, अपूर्ण बाजार उस समय विद्यमान होता है,
जब बाजार में क्रेताओ और विक्रेताओं की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है अथवा क्रेताओ तथा विक्रेताओं को बाजार का पूर्ण ज्ञान नहीं होता या वस्तु विभेद की स्थिति पाई जाती है। इस प्रकार अपूर्ण बाजार में एक वस्तु की एक ही कीमत नहीं पाई जाती।
1. पूर्ण बाजार किसे कहते हैं।
जब किसी वस्तु के बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति पाई जाती है, तो वह पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार अथवा ‘पूर्ण बाजार’ कहलाता है।
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