सामाजिक न्याय का अर्थ
सामाजिक न्याय का तात्पर्य है कि समाज में धन तथा पदों का वितरण इस प्रकार से किया जाए जिससे योग्य, कुशल तथा क्षमता वान व्यक्ति उससे वंचित ना हो जाए अर्थात समाज में विशेषाअधिकारियों का अंत हो जाना चाहिए। समाज के सभी व्यक्ति जब यह महसूस करें कि उनके साथ कोई भेदभाव नहीं हो रहा है, उनके साथ अन्याय, शोषण तथा उत्पीड़न की कार्यवाही नहीं की जा रही है, तो उस स्थिति का नाम ही सामाजिक न्याय हैं।सामाजिक न्याय में सभी लोगों को अपने विकास के समान हो सभी प्रकार के अवसर प्राप्त होते हैं।
भारतीय नागरिकों के लिए सामाजिक न्याय की व्यवस्था
भारतीय नागरिकों के लिए संवैधानिक प्रावधानों तथा विभिन्न अधिनियम द्वारा सामाजिक न्याय की निम्नलिखित व्यवस्था की गई है-
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक न्याय का जिक्र किया गया है। देश के सभी नागरिक सामाजिक दृष्टि से सामान समझे जाएंगे। उनमें जाती, धर्म, लिंग, क्षेत्र, आर्थिक स्थिति, भाषा एवं संस्कृति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
- सरकार विभिन्न कानूनों तथा नियमों का निर्माण करके तथा उन्हें शक्ति तथा ईमानदारी से लागू करके एवं सभी नागरिकों को संस्था एवं शीघ्र न्याय प्रदान करके, सामाजिक न्याय की स्थिति को सुदृढ़ कर सकती है।
- नागरिकों को शिक्षा के पर्याप्त अवसर तथा प्रशिक्षण सुविधाएं अधिक से अधिक प्रदान करके सामाजिक न्याय के सपनों को साकार कर सकते हैं।सभी नागरिकों में नैतिक शिष्टाचार तथा सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करके तथा गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को भोजन आदि देकर सामाजिक न्याय प्रदान कर सकते हैं।