संघवाद –
संघवाद संवैधानिक राज संचालन की उस प्रवृत्ति का प्रारूप है, जिसके अन्तर्गत विभिन्न राज्य एक संविदा द्वारा एक संघ की स्थापना करते हैं। इस संविदा के अनुसार एक संघीय सरकार एवं अनेक राज्य सरकारें संघ की विभिन्न इकाइयाँ हो जाती हैं।
संविधान की संघीय व्यवस्था-
- स्वतन्त्रता प्राप्ति के उपरान्त भारत में जिस संघीय व्यवस्था को अपनाया गया है, वह ब्रिटिश शासन व्यवस्था में अपनाई गई व्यवस्था का ही प्रतिरूप है। ब्रिटिश शासन व्यवस्था में भारत में केन्द्र के पास अधिक शक्तियाँ थीं तथा उनका अनुसरण करने में भारतीयों को कभी कोई आपत्ति नहीं हुई।
- भारत की एकता तथा अखण्डता को बनाए रखने के लिए भी शक्तिशाली केन्द्र की आवश्यकता को महसूस किया गया। संविधान के निर्माताओं ने विगत अनुभव के आधार पर राज्यों को केन्द्र की तुलना में कम अधिकार प्रदान किए।
- आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से भी केन्द्र को शक्तिशाली बनाया गया। ग्रामीण विकास को नई दिशा प्रदान करने में केन्द्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तन के कारण भी सभी संघीय राज्यों में केन्द्र की शक्तियाँ बँटती जा रही हैं।कल्याणकारी योजनाओं के निर्माण तथा आर्थिक संकट एवं युद्धों के भय को समाप्त करने में राज्यों की अपेक्षा केन्द्र की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण है; अत: केन्द्र को शक्तिशाली बनाना अपरिहार्य है।
- भारत के राजनीतिज्ञों तथा विधिवेत्ताओं ने यह भी महसूस किया कि यदि केन्द्र को शक्तिशाली न बनाया गया तो राज्य आपस में मिलकर केन्द्र के विरुद्ध कोई भी षड्यन्त्र रच सकते हैं अथवा किसी विदेशी राष्ट्र को देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
संघवाद की मुख्य विशेषताएं-
लिखित एवं कठोर संविधान
भारतीय संविधान लिखित संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद हैं। इसका निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया था। संविधान कठोर है क्योंकि इसका संशोधन विशिष्ट प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। संविधान संशोधन में केंद्र तथा राज्य दोनों की समान भूमिका है।
शक्तियों का विभाजन
संविधान द्वारा केंद्र तथा राज्यों में शक्तियों का विभाजन किया गया है। इस संबंध में तीन सूचियों केंद्र सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची का निर्माण किया गया है। अविशिष्ट शक्तियां केंद्र को प्रदान की गई है।
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका
शक्तियों के विभाजन को बनाए रखने तथा संविधान की रक्षा करने के उद्देश्य से स्वतंत्र,सर्वोच्च तथा निष्पक्ष न्यायपालिका की भी व्यवस्था की गई है।
एकात्मक की और झुकी हुई संघात्मक व्यवस्था
भारतीय संघवाद की यह प्रमुख विशेषता है कि यहां एकात्मक की ओर झुकी है।इसलिए कुछ विद्वानों ने इससे आज संघ की संज्ञा प्रदान की है तो कुछ नहीं इसके शरीर को संघात्मक तथा आत्मा को एकात्मक की संज्ञा प्रदान की है।
प्रश्न ओर अत्तर (FAQ)
संघवाद किसे कहते हैं
संघवाद संवैधानिक राज संचालन की उस प्रवृत्ति का प्रारूप है, जिसके अन्तर्गत विभिन्न राज्य एक संविदा द्वारा एक संघ की स्थापना करते हैं। इस संविदा के अनुसार एक संघीय सरकार एवं अनेक राज्य सरकारें संघ की विभिन्न इकाइयाँ हो जाती हैं।
संघवाद की एक विशेषता बताइए।
भारतीय संघवाद की यह प्रमुख विशेषता है कि यहां एकात्मक की ओर झुकी है।इसलिए कुछ विद्वानों ने इससे आज संघ की संज्ञा प्रदान की है तो कुछ नहीं इसके शरीर को संघात्मक तथा आत्मा को एकात्मक की संज्ञा प्रदान की है।
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