जीवन: एक नाटक | कक्षा-12 अपठित गद्यांश

मनुष्य को कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। जिस वैभव को लेकर वह दर्प करने की ठानता है, वह उसका नहीं है। उसे तो वह इस रंगमंच में अपना अभिनय – कौशल दिखाने के लिए किराये के रूप में मिला है। उसका असली मालिक ईश्वर है। ईश-उपनिषद् में यह वचन मिलता है कि इस संसार […]

वाणी का तपा | कक्षा-12 अपठित गद्यांश

बोलने का विवेक, बोलने की कला और पटुता व्यक्ति की शोभा है; उसका आकर्षण है। सुबुद्ध वक्ता अपार जन समूह का मन मोह लेता है, मित्रों के बीच सम्मान और प्रेम का केन्द्रबिन्दु बन लोग अपनी बात को राई का पहाड़ बनाकर उपस्थित करते हैं, वे एक ओर जहाँ सुननेवाले के धैर्य की परीक्षा लिया […]