यद्यपि भारत में पर्याप्त जल संसाधन विद्यमान है,परंतु उनकी उचित देखभाल ना हो पाने के कारण जल का अधिकांश भाग प्रदूषित हो जा रहा है। अधिकांश नदियां प्रदूषित हो चुकी है तथा प्रदूषण की यह मात्रा दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। इसके साथ ही मानसूनी वर्षा की ओर एवं मूसलाधार रूप में होती है जिससे बाढ़ आ जाती है तथा वर्षा का जल बेकार ही नष्ट हो जाता है। कभी-कभी वर्षा न होने से सूखे की स्थिति आ जाती है। इस कारण जल का अभाव निरंतर बढ़ता ही जा रहा है जिसके लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदाई रहे हैं-
1.भारत में जल का अधिकांश भाग (विशेष रुप से नदियां) प्रदूषित हो चुका है।
2.भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा अनियमित एवं अनिश्चित होती है तथा इसका वितरण भी असमान है। यह वर्षा भी मात्र 3 महीनों में ही होती है। किस वर्ष वर्षा अधिक होने से बाढ़ आ जाती है। तथा किसी वर्ष वर्षा की कमी से सूखा पड़ जाता है। अतः दोनों ही स्थितियों में जल का अभाव बना रहता है।
3.यद्यपि देश में वर्षा जल पर्याप्त मात्रा में होती है, परंतु वर्षा जल का संग्रहण नहीं किया जाता है। वर्षा का जल नालों के माध्यम से नदियों में तथा नदियों सागरों में मिल जाती है तथा यह जल व्यर्थ ही बह जाता है। इस जल का मात्र 8.5% भाग उपयोग में लाया जा सकता है।
4.देश में भूमिगत जल का स्तर सर्वत्र समान नहीं है तथा न हीं यह जल सभी स्थानों पर पीने योग्य है। इसके साथ इस जल का स्तर भी नीचे गिरता जा रहा है जिस कारण इस जल को प्राप्त करने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अतः जनसंख्या के बड़े भाग को शुद्ध पेयजल उपलब्ध ही नहीं हो पाता है।
5.भारत में जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ती जा रही है जिसके लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने में अनेक कठिनाइयां उपस्थित हो रही है।
5.भारत की लगभग 70% जनसंख्या को शुद्ध पेयजल सुलभ नहीं हो सका है। आज भी बहुत से ग्राम वासियों को पेयजल प्राप्ति हेतु कई किमी पैदल चलना पड़ता है। लंबी शुष्कता के चलते अधिकांश जल स्रोत सूख जाते हैं तथा जल का अभाव बन रहा रहता है।
1. भारत में घटते जल स्तर का एक मुख्य कारण बताइए।
भारत की लगभग 70% जनसंख्या को शुद्ध पेयजल सुलभ नहीं हो सका है। आज भी बहुत से ग्राम वासियों को पेयजल प्राप्ति हेतु कई किमी पैदल चलना पड़ता है। लंबी शुष्कता के चलते अधिकांश जल स्रोत सूख जाते हैं तथा जल का अभाव बन रहा रहता है।