वर्साय की संधि
मित्र-राष्ट्रों ने जर्मनी को प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदाई बताकर उसे वर्साय की अपमानजनक सन्धि (28 जून 1919 ईस्वी) को मानने के लिए विवश किया। सम्मेलन में जर्मन प्रतिनिधियों के साथ अनुचित व्यवहार किया गया। उन्हें युद्ध की धमकी देकर वर्साय संधि पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया गया। इस संधि पत्र में 15 भाग और 440 धाराएं थी।
वर्साय की संधि प्रभाव
- जर्मनी की सेना 100000 तक सीमित कर दी गई।
- उसकी नौसेना पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- जर्मनी का डेजीन बंदरगाह लीग ऑफ नेशनल के नियंत्रण में आ गया।
- जर्मनी की राइन नदी की किलेबंदी को तोड़ दिया गया।
- जर्मनी की सार घाटी पर फ्रांस का अधिकार हो गया।
- जर्मनी के समस्त उपनिवेश ऊपर मित्र राष्ट्रों का अधिकार हो गया।
- जर्मनी की नदियां अंतरराष्ट्रीय करण कर दिया गया।
- जर्मनी पर युद्ध का भारी हर्जाना थोपा गया।
विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदाई
यह संदीप बहुत ही कठोर अपमानजनक तथा प्रतिशोध आत्मक थी। इस संधि की कठोर शब्दों के रूप में जर्मन प्रतिनिधियों का घोर अपमान किया गया था। जर्मनी का निस्त्री करण राष्ट्रों के प्रति घृणा की भावना उत्पन्न कर दी।
जर्मनी में हिटलर की तानाशाही स्थापित हुई, यह आश्चर्य की बात नहीं है।वर्साय की संधि की शर्ते ही ऐसी थी जिनके कारण कोई भी देश अपने अपमान का बदला लेने के लिए तत्पर हो सकता था। मित्र राष्ट्रों ने इस संधि से घृणा को जन्म दिया और यही ग्रहण आगे चलकर एक भयानक युद्ध का कारण बन गई।