
विभवमापी क्या है? इसके उपयोग, विभवमापी तथा वोल्टमीटर में अंतर
विभवमापी के द्वारा किसी विद्युत परिपथ के दो बिंदुओं के बीच शुद्ध विभवांतर या किसी सेल का शुद्ध विभवांतर बल नाप सकते हैं।
दूसरे शब्दों में, विभवमापी एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से किसी सेल का विद्युत वाहक बल या परिपथ के दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर ज्ञात किया जाता है।
विभव प्रवणता क्या है
विभवमापी के तार के प्रति एकांक लंबाई में विभव का जो पतन होता है, उसे विभव प्रवणता कहते हैं।
विभवमापी की सुग्रहिता
एक विभव मापी सुग्राही कहलाता है यदि वह अल्प विद्युत वाहक बल या अल्प विभवांतर को यथार्थपूर्वक माप सके।
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विभवमापी का सिद्धांत
चित्र अनुसार विभवमापी का सिद्धांत बताया गया है। जिसमे A B विभव मापी तार है। B, एक संचायक सेल है जिसका धनात्मक सिरा विभव मापी तार के सिरे A से तथा ऋणात्मक सिरा कुंजी K तथा परिवर्ती प्रतिरोध Rh से होकर विभवमापी तार के सिरे B पर लगा है। इसे प्राथमिक परिपथ कहते हैं।

E वह सेल है जिसका विद्युत वाहक बल हमें ज्ञात करना है। इस सेल E के धन सिरे को तार A B के सिरे A से संबंधित कर देते हैं तथा ऋण सिरे को धारामापी G से संबंधित कर देते हैं इसमें जौकी लगी होती है। इसे द्वितीयक परिपथ कहते हैं।
प्राथमिक परिपथ में लगे सेल B, से तार A B में धारा A से B की ओर बहती है यदि A B सिरों के बीेच विभवांतर V तथा R हो तों
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V = RI – समीकरण एक
अब यदि विभवमापी के तार की लंबाई L CM है तथा धारामापी G में शून्य विक्षेप की स्थिति में तार A B की लंबाई l CM है।
विभवमापी के तार की एकांक लंबाई पर विभव K = V/L तथा तार के भाग A D के सिरों पर विभवांतर Va – Vd = K l, अतः सेल का विद्युत वाहक बल E = विभव प्रवणता × संतुलनकारी लंबाई।
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विभवमापी के उपयोग
- दो सेलो के विद्युत वाहक बलो की तुलना करने में।
- प्राथमिक सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात करने में।
विभवमापी तथा वोल्टमीटर में अंतर
विभवमापी | वोल्टमीटर |
1. संतुलन की स्थिति या अविक्षेप की स्थिति में इसके तार में स्त्रोत से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है। | इसमें स्त्रोत से सदैव निश्चित धारा प्रभावित होती है। |
2. विभवमापी के द्वारा मापा गया विद्युत वाहक बल या विभवान्तर बल शुद्ध होता है। | वोल्टमीटर के द्वारा मापा गया विभवांतर पूर्णतः शुद्ध नहीं होता है। |
3. यह शून्य विक्षेप विधि पर आधारित युक्ति है। | यह विक्षेप विधि पर आधारित युक्ति है। |
4. विद्युत वाहक बल नापते समय शून्य विक्षेप की स्थिति में इसका प्रतिरोध अनंत होता है। | विभवांतर नापते समय इसका प्रतिरोध उच्च होता है लेकिन अनंत नहीं होता है। |
5. इसकी सुग्राहिता बहुत अधिक होती है। | इसकी सुग्रहिता अपेक्षाकृत कम होती है। |
6. इसके द्वारा विद्युत वाहक बल या विभवांतर नापने के अतिरिक्त दो सेलो के विद्युत वाहक बल की तुलना कर सकते हैं, प्राथमिक सेल का आंतरिक प्रतिरोध ज्ञात कर सकते हैं, ताप विद्युत वाहक बल नाप सकते हैं तथा अमीटर और वोल्टमीटर का अंशांकन कर सकते हैं। | इसके द्वारा केवल विभवांतर ही नापा जा सकता है। |
अंतिम निष्कर्ष– दोस्तों आज मैंने इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताया कि विभवमापी क्या होता है और वोल्ट मीटर के बीच अंतर भी बताया है अगर यह पोस्ट आपको मेरी पसंद आती है तो इसे जरूर शेयर करें, जय हिंद जय भारत।
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vibhav mapi ke upyogon ko samjhaey
Iske do uoyog hai jo ki post me hai thanks for comment bro
Hello
Very good but sayd v nhi wo B h electric field h