अधिक कोण त्रिभुज किसे कहते हैं?

त्रिभुज एक बंद दो-परत समतल आकृति है जिसमें तीन भुजाएँ और तीन बिंदु होते हैं। त्रिभुज की भुजाओं और आंतरिक बिंदुओं के प्रकाश में, विभिन्न प्रकार के त्रिभुज प्राप्त होते हैं और अधिक कोण परिकलित त्रिभुज उनमें से एक है। त्रिभुज के अंदरूनी बिंदुओं में से एक को असंवेदनशील (उदाहरण के लिए 90° से अधिक) […]

पाइथागोरस प्रमेय क्या है?

पाइथागोरस प्रमेय गणित में एक महत्वपूर्ण बिंदु है, जो एक समकोण त्रिभुज की भुजाओं के बीच संबंध को स्पष्ट करता है। इसी तरह इसे कुछ समय पाइथागोरस प्रमेय भी कहा जाता है। इस परिकल्पना का नुस्खा और सत्यापन यहां मॉडलों के साथ स्पष्ट किया गया है। पाइथागोरस परिकल्पना का उपयोग अनिवार्य रूप से एक त्रिभुज […]

त्रिभुज के गुण क्या है?

त्रिभुज का प्रत्येक गुण उसकी भुजाओं और बिंदुओं पर निर्भर करता है। त्रिभुज के अर्थ से, हम महसूस करते हैं कि, यह एक बंद बहुभुज है जिसमें तीन भुजाएँ और तीन शीर्ष होते हैं। इसके अतिरिक्त, त्रिभुज के तीन आंतरिक बिंदुओं में से प्रत्येक की मात्रा 180° के बराबर होती है। त्रिभुज के गुण- एक […]

रैखिक बहुपद की परिभाषा

बहुपद की परिभाषा चर के गुणांक तथा ऋणेतर घातांक के जोड़, घटाव या गुणन की क्रिया वाले बीजगणितीय पद को बहुपद कहते है। किसी भिन्न वाले घातांक जैसे कि √x , क्योंकि इसे x12 x 1 2 तरह लिखा जाता है। लेकिन एक बहुपद में चर, अचर या घात हो सकते हैं। रैखिक बहुपद क्या है? एक रैखिक […]

संख्या पद्धति-

1-परिभाषाएं प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers): वस्तुओं को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, उन्हें गणन संख्याएँ या ‘प्राकृत संख्याएँ’ कहते हैं।जैसे- 1, 2, 3, 4, 5,6,7, . . . . Table of Contents1-परिभाषाएं2-महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर-number system tricknumber system trick in hindi✶ पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers): प्राकृत संख्याओं में शून्य को मिलाने पर जो संख्याएँ प्राप्त […]

प्रायिकता किसे कहते हैं-

1-प्रायिकता (Probability) किसी एक सिक्केको उछाले जाने पर दो संभावनाएँ है, चित या पट और उसी सिक्केको अगर 100 बार उछाला जाए, माना 35 बार चित और 65 बारपट आता है, तो -चित आने प्रायिकता पट आने की प्रायिकता  चूँकिये प्रायिकताएँ सिक्केको उछाले जाने के वास्तविक प्रयोग के परिणामों पर आधारित हैं, इसी लिए इन्हें आनुभाविक या प्रायोगिक प्रायिकताएँ कहते […]

पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन-

पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन सूत्र pdf एवं सवाल में आपको सूत्र (formule) तथा घन और घनाभ से संबंधित सवाल जिनकी pdf आप download कर सकते है। घन और घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन, शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl, बेलन का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल, खोखले बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल,  Table of Contents1-वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल और सम्पूर्ण पृष्ठीय […]

वृत्तो से संबंधित क्षेत्रफल-

1-वृत्त- वृत्त की वक्रीय (curve) सीमा की लंबाई उसका परिमाप (perimeter) होती है, परन्तु वृत्त के परिमाप को हम परिधि कहते हैं। वृत्त की परिधि का उसके व्यास (diameter) के साथ एक अचर अनुपात (constant ratio) होता है, जिसे हम एक यूनानी अक्षर π (पाई) से दर्शाते हैं।* परिधि/व्यास = π* परिधि = व्यास x […]

त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग-

1-महत्वपूर्ण प्रश्न- प्रश्न :1. सर्कस का एक कलाकार एक 20 m लम्बी डोर पर चढ़ रहा है जो अच्छी तरह तनी हुई है और भूमि पर सीधे लगे खंभे के शिखर से बंधा हुआ है। यदि भूमि स्तर के साथ डोर द्वारा बनाया गया कोण 300300 का हो तो खंभे की ऊँचाई ज्ञात कीजिए (देखिए आकृति)। हल: […]

वृत्त क्या है-

1-वृत्त की परिभाषा वृत्त (circle) एक तल के उन बिन्दुओं का समूह होता है जो एक नियत बिन्दु (केन्द्र) से अचर दूरी (त्रिज्या) पर होते हैं। जब किसी भी वृत्त को उसके केंद्र से किसी भी नियत कोण पर घुमाया जाता है तो भी वृत्त नहीं बदलता है। जब एक सीधी रेखा खींची जाती है जो केंद्र से गुजरती है […]

निर्देशांक ज्यामिति-

1-निर्देशांक ज्यामिति क्या है- निर्देशांक ज्यामिति एक बीजीय साधन है जिसके द्वारा आकृतियों की ज्यामिति का अध्यन किया जाता है। निर्देशांक ज्यामिति हमें बीजगणित का उपयोग कर आकृतियों की ज्यामिति को समझने में सहायता करता है। यही कारण है कि निर्देशांक ज्यामिति का विभिन्न क्षेत्रों में, यथा भौतिकी, इंजिनियरिंग, समुद्री परिवहन, भूकम्प शास्त्र आदि में […]

त्रिभुज क्या है-

1-त्रिभुज जिन दो त्रिभुजोंके आकार और माप समान होते हैं, सर्वांगसमत्रिभुज कहलाते हैं। समरूपआकृति – जिन दो आकृतियोंके आकार बिल्कुल समान हो परन्तु आमाप समान हो या नहो, समरूप आकृतियाँ कहलाती हैं। सभी सर्वांगसमआकृतियोंके युग्मसमरूप होते हैं परंतु सभी समरूपआकृतियाँ सर्वांगसम होना आवश्यक नहीं है। समान भुजाओं वाले बहुभुज समरूप होते हैं, यदि उनके संगतकोण बराबर हों तथा संगतभुजा […]