संसदात्मक कार्यपालिका के गुण तथा दोष लिखिए।

हम जानेंगे कि संसदात्मक कार्यपालिका के गुण तथा दोष तो इसे पूरा जरूर पढ़ें। संसदात्मक कार्यपालिका के गुण- 1. कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में सहयोग – इस शासन-प्रणाली में कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका में एक-दूसरे के प्रति पूर्ण सहयोग की भावना होती है; क्योंकि मंत्रिमण्डल के ही सदस्य विधानमण्डल के भी सदस्य होते हैं। इसी कारण कार्यपालिका […]

स्वतंत्रता का अर्थ, परिभाषा, प्रकार,महत्व।

स्वतंत्रता का अर्थ: स्वतंत्रता आधुनिक काल का प्रमुख राजनीतिक दर्शन (Political philosophy) के अन्तर्गत राजनीति, स्वतंत्रता, न्याय, सम्पत्ति, अधिकार, कानून तथा सत्ता द्वारा कानून को लागू करने आदि है। यह उस दशा का बोध कराती है जिसमें कोई राष्ट्र, देश या राज्य द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने पर किसी दूसरे व्यक्ति/ समाज/ देश का किसी प्रकार […]

मौलिक अधिकार से क्या अभिप्राय है?

मौलिक अधिकार किसे कहते है- मौलिक अधिकार से तात्पर्य, जो मानव-जीवन के लिए आवश्यक एवं अपरिहार्य हैं तथा संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते हैं, मौलिक अधिकार कहलाते हैं। इन अधिकारों का व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका द्वारा भी उल्लंघन नहीं किया जा सकता। न्यायपालिका ऐसे समस्त कानूनों को अवैध घोषित कर सकती है। Table of […]

व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर स्पष्ट कीजिए

व्यष्टि अर्थशास्त्र समष्टि अर्थशास्त्र 1. व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत स्तर पर आर्थिक संबंधों अथवा आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता हैं। 1. समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर आर्थिक संबंधों अथवा आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता हैं। 2. व्यष्टि अर्थशास्त्र मुख्यतः एक व्यक्तिगत फर्म अथवा उद्योग में उत्पादन तथा कीमत के निर्धारण से संबंधित हैं। 2. समष्टि अर्थशास्त्र का संबंध […]

मांग की लोच से आप क्या समझते हैं?

मांग की लोच का अर्थ- मांग का नियम केवल गुणात्मक कथन है। वह वस्तु की कीमत एवं मांग मात्रा के बीच किसी परिमाणात्मक संबंध को व्यक्त नहीं करता। यह तो केवल इतना बताता है कि कीमत बढ़ने से मांग घटती है और कीमत में कमी होने से मांग बढ़ती है। Table of Contentsमांग की लोच […]

पूर्ण तथा अपूर्ण बाजार के अंतर को स्पष्ट कीजिए।

पूर्ण बाजार- जब किसी वस्तु के बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति पाई जाती है, तो वह पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार अथवा ‘पूर्ण बाजार’ कहलाता है। पूर्ण बाजार में स्वतंत्र रूप में कार्य करने वाले क्रेताओं तथा विक्रेताओं की बहुत बड़ी संख्या होती है। उन्हें बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है। बाजार में परस्पर कोई […]

सम सीमांत उपयोगिता नियम क्या है?

सम सीमांत के बारे में उपयोगिता के क्षेत्र का सर्वाधिक महत्वपूर्ण नियम सम सीमांत उपयोगिता नियम है। सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम पर आधारित कल्याण वादी अर्थशास्त्र के इस व्यवहारिक नियम का संबंध भी हमारे दैनिक जीवन से है। मनुष्य की आवश्यकताएं अनंत हैं और उसके साधन सीमित हैं। Table of Contentsसम सीमांत के बारे मेंनियम […]

बहुराष्ट्रीय कंपनी से क्या अभिप्राय है?

बहुराष्ट्रीय कंपनियां : अर्थ व परिभाषा एक बहुराष्ट्रीय कंपनी वह कंपनी है, जिसका मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान आदि किसी विकसित देश में होता है तथा वह अन्य किसी विकसित अथवा विकासशील देश में भी कार्यरत होती है। यह कंपनियां खनन, चाय, रबड़, काफी वह वृक्षारोपण,तेल निकालना तथा शोधन एवं घरेलू उत्पादन तथा […]