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वयस्क अथवा सार्वभौमिक मताधिकार

वयस्क अथवा सार्वभौमिक मताधिकार

सार्वभौमिक मताधिकार या ‘सर्वजनीन वयस्क मताधिकार‘ का अर्थ होता है कि वोट का अधिकार अर्थात बिना किसी भेदभाव के सभी वयस्क महिलाओ ओर पुरुषों को वोट देने का अधिकार प्रदान करवाना ही वयस्क अथवा सार्वभौमिक मताधिकार कहलाता है।

मताधिकार का अर्थ

जनता के उस अधिकार को मताधिकार या Franchise (फ्रेंसाइज) या Suffrage (सफ्रेज) कहते है, जिनके प्रयोग द्वारा वह अपने प्रतिनिधियों का चुनाव मतदान द्वारा करती है, जो उनके लिए कानून बनाते है। मताधिकार अँग्रेजी के फेस्राइज शब्द पुरानी फ़्रेंच भाषा के ‘फसें ‘ शब्द से बना है जिसका अर्थ है स्वतत्रं और सफे्रज शब्द लैटिन भाषा के ‘सफा्र गारी’ शब्द से निकला है जिसका तात्पर्य मत देने से है। इस प्रकार मताधिकार से अर्थ नागरिक के उस अधिकार से है जिसके द्वारा वह अपने प्रतिनिधियो का चुनाव मतदान द्वारा करता है जो राज्य का शासन चलाते है।

सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का अभिप्राय (अर्थ) 

जब राज्य के समस्त वयस्क नागरिको को जाति, धर्म सम्प्रदाय, वर्ग, वंश, शिक्षा संपत्ति या लिंग आदि के भेदभाव के बिना उनकी वयस्कता के आधार पर मताधिकार प्राप्त हो तो उसे ‘सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार’ कहते है। वयस्क होने का अर्थ है एक निर्धारित आयु पूरी कर लेना।

जब राज्य के समस्त वयस्क नागरिको को जाति, धर्म सम्प्रदाय, वर्ग, वंश, शिक्षा संपत्ति या लिंग आदि के भेदभाव के बिना

वयस्क मताधिकार का महत्व

  1. वयस्क मताधिकार द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से जनता का शासन में भागीदारी होती है तथा जनता राष्टी्रय समस्याओं, माँगो तथा विभिन्न हितो के विषय में सोचती है। इससे नागरिको में राजनीतिक चेतना जागृत होती है। 
  2. वयस्क मताधिकार के कारण सरकार व जनता के बीच सामंजस्य पैदा होता है जो शासन की कार्यकुशलता के लिए आवश्यक है। 
  3. वयस्क मताधिकार के कारण सरकार को संवैधानिक आधार मिलता है। 
  4. इसका महत्व यह है कि जब चाहे मतदाता सरकार बदल सकती है। 
  5. वयस्क मताधिकार से नागरिक की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। देश में क्रांति की संभावना नही रहती है। 

वयस्क मताधिकार और सार्वभौमिक मताधिकार में क्या अंतर है?

वयस्क मताधिकार सार्वभौमिक मताधिकार का सबसेट है। सार्वभौमिक मताधिकार में प्रत्येक व्यक्ति जो वयस्क है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग, नस्ल या संपत्ति का हो, उसे मतदान का अधिकार प्राप्त है। भारत इस पहलू में अग्रणी था। भारतीय संविधान के समय से भारत में सार्वभौमिक मताधिकार की व्यवस्था है, जबकि महान पश्चिमी देशों ने महिलाओं को अपने संविधान के लागू होने के सदियों बाद मतदान करने की अनुमति दी है। 1920 में यूएसए जबकि 1928 में यूके ने महिलाओं को चुनाव में वोट देने की अनुमति दी। महिलाओं के मताधिकार की अनुमति देने के लिए स्विट्जरलैंड 1975 के अंत तक था।