Cart (0) - ₹0
  1. Home
  2. / blog
  3. / class-10-history-chapter-2-questions-answer-in-hindi

Class 10 history chapter 2 Questions & Answer in Hindi

Class 10 history chapter 2 Questions & Answer in Hindi

प्रश्न.1 जलियाँवाला बाग काण्ड पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर: रौलेट एक्ट के विरोध में पंजाब के अमृतसर जिले की जनता अत्यन्त आक्रोशित थी। इस शहर में सैनिक शासन लागू करके नियन्त्रण जनरल डायर को दिया गया था। 12 अप्रैल, 1919 ई० को नगर में सार्वजनिक सभा पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिसकी पूरी जानकारी जनता को नहीं कराई गई।

13 अप्रैल को , बैसाखी का त्योहार था। इसी दिन सरकार की नीति का विरोध करने के लिए जलियाँवाला बाग में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया। सभा शान्तिपूर्वक चल रही थी तभी जनरल डायर ने 200 देशी और 50 गोरे सिपाहियों को साथ लेकर बाग के एकमात्र दरवाजे को रोक लिया और निहत्थी जनता पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी।

10 मिनट तक निहत्थी भीड़ पर गोलियों की बौछार होती रही। इस हत्याकाण्ड में हजारों व्यक्ति मारे गए और असंख्य घायल हुए। इस घटना से भारतीयों में भयंकर असन्तोष की लहर दौड़ गई।

प्रश्न 2. महात्मा गांधी द्वारा सुझाए गए असहयोग आन्दोलन के सन्दर्भ में तीन मुख्य सुझावों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और यह शासन इसी सहयोग के कारण चल पा रहा है। अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के भीतर ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी।

गांधी जी का सुझाव था कि यह आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। सबसे पहले लोगों को सरकार द्वारा दी गई पदवियाँ लौटा देनी चाहिए और सरकारी नौकरियाँ, सेना, पुलिस, अदालतों, विधायी परिषदों, स्कूलों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए। अगर सरकार दमन का रास्ता अपनाती है तो व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी प्रारम्भ किया जाए।

प्रश्न 3. नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक थी। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: 31 जनवरी, 1930 ई० को गांधी जी ने वायसराय इरविन को एक खत लिखा। इस खत में उन्होंने ग्यारह माँगों का उल्लेख किया था। इनमें से कुछ सामान्य माँगें थीं, जबकि कुछ माँगें उद्योगपतियों से लेकर किसानों तक विभिन्न तबकों से जुड़ी हुई थीं।

गांधी जी इन माँगों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को अपने साथ जोड़ना चाहते थे ताकि सभी उनके अभियान में शामिल हो सकें। इनमें से सर्वाधिक प्रमुख माँग नमक कर को समाप्त करने के बारे में थी।

सफलतापूर्वक नमक यात्रा निकालकर गांधी जी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार को अपने सत्याग्रह के तरीके से उत्तर दिया। नमक यात्रा वास्तव में उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रतिरोध का एक सबसे बड़ा प्रतीक थी।

प्रश्न 4. भारत के व्यवसायी वर्ग ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का समर्थन क्यों किया?

उत्तर: प्रथम विश्वयुद्ध की अवधि में भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने अत्यधिक लाभ कमाया था जिससे वे शक्तिशाली हो चुके थे। अपने कारोबार को फैलाने के लिए उन्होंने ऐसी औपनिवेशिक नीतियों का विरोध किया जिनके कारण उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट आती थी।

वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे और रुपया स्टर्लिंग विदेशी विनिमय अनुपात में परिवर्तन चाहते थे जिससे आयात में कमी आ जाए। व्यावसायिक हितों को संगठित करने के लिए उन्होंने 1920 ई० में भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस (इण्डियन इण्डस्ट्रियल एण्ड कॉमर्शियल कांग्रेस) और 1927 ई० में भारतीय वाणिज्य और उद्योग परिसंघ (फेडरेशन ऑफ इण्डियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज-फिक्की) का गठन किया।

पुरुषोत्तम दास ठाकुर और जी०डी० बिड़ला जैसे जाने-माने उद्योगपतियों के नेतृत्व में उद्योगपतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर औपनिवेशिक नियन्त्रण का विरोध किया और सविनय अवज्ञा आन्दोलन का समर्थन किया।

प्रश्न‌ 5. असहयोग आन्दोलन स्थगित होने के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: गांधी जी ने धार्मिक आन्दोलन अर्थात् 'खिलाफत आन्दोलन' को राष्ट्रीय भावना से जोड़कर बहुत बड़ी भूल की। इस भूल का परिणाम यह हुआ कि राष्ट्रवादी, जो भारतीय समाज की समस्याओं के लिए लड़ रहे थे, बुरी तरह निराश हो गए।

उन्हें गांधी जी की नीति पर सन्देह होने लगा। गांधी जी को विश्वास था कि ब्रिटिश सरकार के परम भक्त मुसलमानों के इस आन्दोलन में साथ देने पर; वे लोग भी कांग्रेस का साथ देंगे। लेकिन ऐसा न हुआ और मुसलमानों के विरुद्ध हिन्दुओं में भारी आक्रोश फैल गया।

इसके फलस्वरूप जगह-जगह दंगे भड़के और जनता की शक्ति आपस में ही नष्ट होने लगी। सरकार की दमनकारी नीति इतनी उम्र हो गई कि सभी नेता जेल भेज दिए गए और आन्दोलन दिशाहीन हो गया। जनता का आक्रोश सरकारी दमन के विरुद्ध इतना उग्र हो उठा कि वह अहिंसात्मक नीति को त्यागकर क्रूर हिंसा पर उतारू हो गई। अपनी नीतियों के विरुद्ध जाते देखकर गांधी जी ने इस आन्दोलन को स्थगित कर दिया।