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बहुदलीय प्रणाली के गुण तथा दोष ? | Merits and demerits of multi-party system?

बहुदलीय प्रणाली के गुण तथा दोष ? | Merits and demerits of multi-party system?

बहुदलीय प्रणाली का अर्थ है एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली जिसमें तीन या उससे अधिक पार्टियाँ सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं। इस प्रकार की प्रणाली विभिन्न विचारधाराओं, रुचियों और नीतियों को समावेशित करती है, जिससे एक विविध और जीवंत लोकतंत्र की सृष्टि होती है। हालांकि, इसके कुछ लाभ और हानियां भी हैं।

बहुदलीय प्रणाली के गुण

  1. विविधता में एकता: बहुदलीय प्रणाली विभिन्न समूहों, विचारधाराओं और जनसंख्या के वर्गों को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है, जिससे राजनीतिक विविधता और सामाजिक सहभागिता बढ़ती है।
  2. लोकतांत्रिक स्वास्थ्य: यह प्रणाली लोकतांत्रिक स्वास्थ्य को मजबूत करती है क्योंकि यह वोटरों को अधिक विकल्प प्रदान करती है और सत्ता के एकाधिकार को रोकती है।
  3. अधिक जवाबदेही: बहुदलीय प्रणाली में, सरकारों को अधिक जवाबदेह होना पड़ता है क्योंकि उन्हें अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
  4. सहयोग और समझौता: इस प्रणाली में सरकार बनाने के लिए अक्सर गठबंधन की आवश्यकता होती है, जो पार्टियों को आपस में सहयोग और समझौता करने के लिए प्रेरित करती है।
  5. बहुदलीय प्रणाली नागरिकों को कई राजनीतिक दलों का सहयोग प्राप्त होता है इसलिए इस पद्धति के अंतर्गत नागरिकों को मत प्रदर्शन का अधिक अवसर मिलता है इस प्रकार इसमें विभिन्न मतों को प्रतिनिधित्व का अवसर मिलता है।
  6. इस पद्धति में राजनीतिक दलों की संख्या अधिक होने के कारण नागरिकों को व्यवस्थापिका मैं अधिकतम प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
  7. इस व्यवस्था में नागरिकों को विभिन्न दलों से संपर्क रहता है इसलिए नागरिकों को राजनीतिक दृष्टिकोण अधिक विकसित एवं व्यापक रहता है‌।
  8. बहुदलीय प्रणाली में अनेक दल अपनी अपनी सत्ता स्थापित करने का प्रयास करते रहते हैं सत्ता प्राप्ति के पश्चात शेष बचे विरोधी दल होने से किसी भी दल की निरंकुशता स्थापित नहीं हो पाती है।

बहुदलीय प्रणाली के दोष

  1. सरकारी अस्थिरता: बहुदलीय प्रणाली में सरकारें अक्सर कमजोर और अस्थायी होती हैं क्योंकि गठबंधन सरकारें आसानी से टूट सकती हैं।
  2. निर्णय लेने में विलंब: बहुसंख्यक राय बनाने में कठिनाइयों के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
  3. पॉलिसी पैरालिसिस: विभिन्न पार्टियों के बीच मतभेदों के कारण नीतियों का क्रियान्वयन रुक सकता है।
  4. विखंडन: बहुत अधिक विखंडन से राजनीतिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ सकती है।
  5. चुनावी खर्च: बहुदलीय प्रणाली में, चुनावी खर्च बढ़ सकता है क्योंकि अधिक पार्टियाँ चुनावी प्रक्रिया में भाग लेती हैं।
  6. बहुदलीय पद्धति से राजनीतिक दलों की संख्या अधिक होने के परिणाम स्वरूप मिश्रित सरकारें बनती है भारत में 1990 के उपरांत किसी भी दल को लोकसभा से पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं हुआ है गठबंधन की सरकार का निर्माण हुआ है इसलिए सरकार प्राय निर्बल और अस्थिर होती है।
  7. बहुदलीय पद्धति के कारण शासन की बागडोर विभिन्न दलों के मिश्रित मंत्रिमंडल के हाथों में रहती है इसलिए बहुत दलीय पद्धति में शासन की एकरूपता का अभाव पाया जाता है।
  8. बहुदलीय पद्धति में मंत्रिमंडल दीर्घकाल तक नहीं रह पाते हैं अतः अपने अल्प काल में वे दीर्घकालीन योजनाओं का निर्माण करने में असफल रहते हैं इसलिए कहा जाता है कि बहुत दलीय पद्धति में दीर्घकालीन योजनाओं का अभाव पाया जाता है।
  9. बहुदलीय शासन पद्धति में किसी भी दल को अपनी ओर से शासन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का अवसर नहीं मिलता है विभिन्न दल अपने हितों की पूर्ति करने में लगे रहते हैं और जनता को विचलित कर के अपने स्वार्थों की पूर्ति करते हैं इसलिए बहुत दलीय पद्धति में लोक कल्याण की उपेक्षा की जाती है।
  10. अनेक राजनीतिक दल हो जाने के कारण नागरिकों में किसी एक कुशल नेता का प्रभाव नहीं रह पाता है क्योंकि विभिन्न दल अपने-अपने हितों की सुरक्षा करने में संलग्न रहते हैं कोई भी एक ऐसा नेता नहीं हो पाता है जो संपूर्ण राष्ट्र के नागरिकों एकता के सूत्र में बांध सकें इसलिए बहुदलीय पद्धति में नेता के प्रभाव का अभाव भी रहता है।

अंततः, बहुदलीय प्रणाली की प्रभावशीलता उस देश के विशिष्ट संदर्भ, राजनीतिक संस्कृति, और इसे लागू करने के तरीके पर निर्भर करती है।