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प्रजनन किसे कहते हैं? | प्रकार | लाभ | महत्व

प्रजनन किसे कहते हैं? | प्रकार | लाभ | महत्व

प्रजनन जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक जीव या कोशिका वंश बनाती है। यह या तो यौन या अलैंगिक रूप से हो सकता है। यौन प्रजनन में, दो मूल जीवों की आनुवंशिक जानकारी को अद्वितीय आनुवंशिक विशेषताओं के साथ संतान बनाने के लिए जोड़ा जाता है।

अलैंगिक प्रजनन में युग्मकों के संलयन के बिना संतानों का निर्माण शामिल है, और संतान आनुवंशिक रूप से मूल जीव के समान हैं। प्रजनन एक प्रजाति की निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण है और एक आबादी के भीतर आनुवंशिक विविधता की अनुमति भी देता है, जो एक प्रजाति को बदलते परिवेश के अनुकूल होने और आनुवंशिक विकारों से बचने में मदद कर सकता है।

प्रजनन की परिभाषा (prajanan ki paribhasha)

"किसी जीव का अपनी जाति या वंश की निरंतरता को बनाए रखने के लिए अपने समान जीव उत्पन्न करना पड़ता है इसको उत्पन्न करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसको प्रजनन (Reproduction) कहते हैं।"

प्रजनन कितने प्रकार के होते हैं?

जीवो में प्रजनन मुख्यतः दो विधियों द्वारा होता है-

  1. अलैंगिक प्रजनन
  2. लैंगिक प्रजनन

अलैंगिक प्रजनन किसे कहते हैं?

इस प्रकार के प्रजनन में केवल एक ही जनक की आवश्यकता होती है प्रजनन की वह विधि जिसमें दो जीव कोशिकाओं का सहयोग मिले बिना ही कोई जीव अपने ही समान जीव को पैदा कर देता है। इस प्रकार का प्रजनन केवल तीन श्रेणी के जीवों में होता है।

अलैंगिक प्रजनन कितनी विधियों द्वारा होता है?

यह निम्न विधियों द्वारा होता है-

विखंडन द्वारा अलैंगिक प्रजनन

यह बहुत ही सरल विधि है इसमें जीव समसूत्री विभाजन के द्वारा दो या दो से अधिक खंडो में विभाजित हो जाते हैं और प्रत्येक खंड विकसित होकर के एक नया जीव बना देता है। जब जीव केवल दो खंडों में विभाजित होता है तब इस विधि को द्विखंड कहते हैं लेकिन जब यह दो से अधिक खंडों में विभाजित होकर के प्रजनन करता है तब इस विधि को बहु विखंडन कहते हैं; जैसे - पैरामीशियम, अमीबा, यूग्लीना आदमी विखंडन द्वारा ही अलैंगिक जनन होता है।

कलीकायन द्वारा अलैंगिक प्रजनन

इस विधि के द्वारा कुछ स्पंज जैसे - हाइड्रा, साइक्लोन आदि में प्रजनन होता है। इसमें सबसे पहले वायरस (Virus) दिलीप के शरीर पर एक उभार बनाता है, जिसे कालिका कहते हैं। कालिका या उभार विकसित होकर एक पूर्ण जीव बना देता है, जीव विकास के समय अपना पोषण जनक जीव से प्राप्त करता है। लेकिन पूरी तरह से विकसित होने पर यह जनक से अलग होकर एक नया जंतु बन जाता है।

प्लाज्मोटोमी द्वारा अलैंगिक प्रजनन

यह प्रजनन विधि बहु केंद्र के जीवों में पाया जाता है, इनका जीव द्रव विभाजित होकर बहुत से जीवों में बढ़ जाता है इसके बाद में केंद्रीय विभाजित होकर पहले जैसी संख्या प्राप्त कर लेते हैं।

पुनरूदभवन द्वारा अलैंगिक प्रजनन 

इस प्रकार का प्रजनन जनरल हाइड्रा प्लेनेरिया और कुछ स्पंजों में पाया जाता है। इसमें जब जीव का शरीर किन्हीं कारणों से कई टुकड़ों में कट जाता है या काट दिया जाता है तब प्रत्येक टुकड़ा विकसित होकर एक नया जीव बना लेता है।

लैंगिक प्रजनन किसे कहते हैं?

प्रजनन की वह विधि जिसमें पहले एक जाव के दो अलग-अलग या एक ही जीव के शरीर के दो विशेष कोशिकाएं बन जाती है। जिनको जनन कोशिकाएं या युग्मनज कहते हैं युग्मक आपस में मिलकर एक कोशिश बना देते हैं। दो युग्मक के मिलने की क्रिया को निषेचन कहते हैं, इस तरह से बना युग्मनज विकसित होकर नया जीव बना देता है।

प्रजनन के लाभ (prajanan ke Labh)

प्रजनन का मुख्य लाभ एक प्रजाति की निरंतरता है। प्रजनन के बिना, एक प्रजाति अंततः मर जाएगी। प्रजनन आबादी के भीतर आनुवंशिक विविधता की भी अनुमति देता है, जो प्रजातियों की अनुकूलन क्षमता और जीवित रहने की संभावना को बढ़ा सकता है।

यह विविधता समय के साथ एक प्रजाति के विकास को भी बढ़ावा दे सकती है, जिससे यह बदलते परिवेशों को बेहतर ढंग से अनुकूलित कर सके। इसके अतिरिक्त, प्रजनन पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और संतुलन के रखरखाव में भी भूमिका निभा सकता है।

प्रजनन का महत्व (prajanan ka mahatva)

किसी प्रजाति की निरंतरता के लिए प्रजनन आवश्यक है। प्रजनन के बिना, एक प्रजाति की कोई संतान नहीं होगी और अंततः विलुप्त हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, प्रजनन एक आबादी के भीतर आनुवंशिक विविधता की अनुमति देता है, जो एक प्रजाति को बदलते परिवेश के अनुकूल होने और आनुवंशिक विकारों से बचने में मदद कर सकता है।