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पर्यायवाची, विलोम, श्रुतिसभिन्नाथर्क शब्द

पर्यायवाची, विलोम, श्रुतिसभिन्नाथर्क शब्द

पर्यायवाची शब्द

जो शब्द अर्थ की दृष्टि से समान होते हैं, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं। जैसे-दूध के पर्यायवाची हैं- दुग्ध, गोरस, पय

पर्यायवाची शब्द अर्थ में समान अवश्य होते हैं किंतु यह वाक्य प्रयोग में सर्वदा एक दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त नहीं हो सकते। इनका प्रयोग सदैव औचित्य पर निर्भर करता है, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो जाता है यथा

राजीव-लोचन श्री राम को देखकर सीता मुग्ध हो गई।इस वाक्य में राजीव कलम का पर्यायवाची है, किंतु इसके स्थान पर हम कमल के अन्य पर्यायवाची शब्द पंकज का प्रयोग नहीं कर सकते। क्योंकि पंकज का अर्थ होता है कीचड़ और मैं उत्पन्न।अब यदि हम उपयुक्त वाक्य के स्थान पर यह कहे कि पंकज लोचन श्री राम को देखकर जीता मुग्ध हो गई। तू पंकज का यह प्रयोग अर्थ का अनर्थ कर देता है।

इस प्रकार अर्थ की समानता होते हुए भी पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग एक दूसरे के स्थान पर नहीं हो सकता।

अतिथि- मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना।
अमृत- सुरभोग सुधा, सोम, पीयूष, अमिय, जीवनोदक ।
अग्नि- आग, ज्वाला, दहन, धनंजय, वैश्वानर, रोहिताश्व, वायुसखा, विभावसु, हुताशन, धूमकेतु, अनल, पावक, वहनि, कृशानु, वह्नि, शिखी।
अनुपम- अपूर्व, अतुल, अनोखा, अनूठा, अद्वितीय, अदभुत, अनन्य।
अर्थ- हय, तुरङ, वाजि, घोडा, घोटक।
असुर-यातुधान, निशिचर, रजनीचर, दनुज, दैत्य, तमचर, राक्षस, निशाचर, दानव, रात्रिचर।
अलंकार- आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर।
अहंकार- दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान।
अहंकारी- गर्वित, अकडू, मगरूर, अकड़बाज, गर्वीला, आत्माभिमानी, ठस्सेबाज, घमंडी।
अतिथि- मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना।
अर्थ- धन्, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा।
अश्व- हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, हरि, तुरग, वाजि, सैन्धव।
अंधकार- तम, तिमिर, तमिस्र, अँधेरा, तमस, अंधियारा।
अंग- अंश, अवयव, हिस्सा, संघटक, घटक, उपादान, खंड, भाग, टुकड़ा, शरीर, तन, देह, गात, गात्र।
अभिमान- अस्मिता, अहं, अहंकार, अहंभाव, अहम्मन्यता, आत्मश्लाघा, गर्व, घमंड, दर्प, दंभ, मद, मान, मिथ्याभिमान।
अरण्य- जंगल, वन, कानन, अटवी, कान्तार, विपिन।
अनी- कटक, दल, सेना, फौज, चमू, अनीकिनी।
अनादर- अपमान, अवज्ञा, अवहेलना, अवमानना, परिभव, तिरस्कार।
अंकुश- नियंत्रण, पाबंदी, रोक, अंकुसी, दबाव, गजांकुश, हाथी को नियंत्रित करने की कील, नियंत्रित करने या रोकने का तरीका।
अंजाम- नतीजा, परिणाम, फल।
अंत- समाप्ति, अवसान, इति, इतिश्री, समापन।
अंतर- भिन्नता, असमानता, भेद, फर्क।
अंतरिक्ष- खगोल, नभमंडल, गगनमंडल, आकाशमंडल।
अंतर्धान- गायब, लुप्त, ओझल, अदृश्य।
अंदर- भीतर, आंतरिक, अंदरूनी, अभ्यंतर।
अंदाज- अंदाजा, अटकल, कयास, अनुमान।
अंधा- सूरदास, आँधरा, नेत्रहीन, दृष्टिहीन।
अंबर- आकाश, आसमान, गगन, फलक, नभ।
अंबु- जल, पानी, नीर, क्षीर, सलिल, वारि।
अंबुज- कमल, पंकज, नीरज, वारिज, जलज, सरोज, पदम।
अंबुद- मेघ, बादल, घन, घनश्याम, अंबुधर, घटा।
अंबुनिधि- समुंदर, सागर, सिंधु, जलधि, उदधि, जलेश।
अंशु- रश्मि, किरन, किरण, मयूख, मरीचि।
अंशुमान- सूरज, सूर्य, रवि, दिनकर, दिवाकर, प्रभाकर, भास्कर।
अकड़बाज- ऐंठू, गर्वीला, घमंडी, अकड़ूखाँ, अहंकारी।
अकिंचन- गरीब, निर्धन, दीनहीन, दरिद्र।
अकृतज्ञ- अहसान- फ़रामोश, बेवफा, नमकहराम।
अक्ल- प्रज्ञा, मेधा, मति, बुद्धि, विवेक।
अखिलेश्वर- ईश्वर, परमात्मा, परमेश्वर, भगवान, खुदा।
अगम- दुष्कर, कठिन, दुःसाध्य, अगम्य।

विलोम/विपरीतार्थक शब्द

एक़-दूसरे के विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्द विलोम कहलाते है।
सरल शब्दों में- जो शब्द किसी दूसरे शब्द का उल्टा अर्थ बताते हैं, उन्हें विलोम शब्द या विपरीतार्थक शब्द कहते है। जैसे- अपेक्षा- नगद, आय- व्यय, आजादी-गुलाम, नवीन- प्राचीन शब्द एक दूसरे के उलटे अर्थ वाले शब्द है। अतः इन्हें ‘विलोम शब्द’ कहते हैं।

अत: विलोम का अर्थ है- उल्टा या विरोधी अर्थ देने वाल़ा।
विलोम शब्द अपने सामनेवाले शब्द के सर्वदा विपरीत अर्थ प्रकट करते हैं।

  1. अमृत       – विष
  2. अन्धकार  – प्रकाश
  3. अनुराग    – विराग
  4. अथ          – इति
  5. अल्पायु     – दीर्घायु
  6. आदि         – अंत
  7. आगामी     – गत
  8. अनुज        – अग्रज
  9. अधिक     –  न्यून
  10. आग्रह     –  दुराग्रह
  11. आकर्षण     –  विकर्षण
  12. आदान     –  प्रदान
  13. अर्थ     –  अनर्थ
  14. आय     –  व्यय
  15. आहार     –  निराहार
  16. अनुकूल     –  प्रतिकूल
  17. अल्प     –  अधिक
  18. अभिज्ञ     –  अनभिज्ञ
  19. अनुग्रह     –  विग्रह
  20. आर्द्र     –  शुष्क 
  21. अभिमान     –  नम्रता
  22. आदि     –  अंत
  23. अर्वाचीन     –  प्राचीन
  24. अनुपस्थित     –  उपस्थित
  25. आयात     –  निर्यात
  26. आलस्य     –  स्फूर्ति
  27. अवनति     –  उन्नति
  28. अमावस्या     –  पूर्णिमा
  29. अनुरक्ति     –  विरक्ति
  30. अल्पसंख्यक     –  बहुसंख्यक
  31. आधुनिक     –  बहुसंख्यक
  32. आग्रह     –  अनाग्रह
  33. अनाथ     –  सनाथ
  34. अनुरक्ति     –  विरक्ति
  35. अत्यधिक     –  अत्यल्प
  36. अर्जन     –  वर्जन
  37. अवर      –  प्रवर
  38. अंतर्मुखी     –  वहिर्मुखी
  39. आलोक     –  अंधकार
  40. आच्छादित      –  अनाच्छादित

श्रुतिसभिन्नाथर्क शब्द

ऐसे शब्द जो पढ़ने और सुनने में लगभग एक-से लगते हैं, परंतु अर्थ की दृष्टि से भिन्न्न होते हैं, श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में- कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनमें स्वर, मात्रा अथवा व्यंजन में थोड़ा-सा अन्तर होता है। वे बोलचाल में लगभग एक जैसे लगते हैं, परन्तु उनके अर्थ में भिन्नता होती है। ऐसे शब्द ‘श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द’ कहलाते हैं।

जैसे- घन और धन दोनों के उच्चारण में कोई खास अन्तर महसूस नहीं होता परन्तु अर्थ में भिन्नता है।
घन= बादल
धन= सम्पत्ति

शब्द अर्थ शब्द अर्थ
(1) बहु
बहू
अत्यधिक
पुत्रवधू
(2) गाड़ी
गाढ़ी
यान
गहरी
(3) बहार
बाहर
शोभा
आंगन में
(4) नियत
नीयत
निश्चित
इरादा
(5) खोलना
खौलना
बन्धनमुक्त करना
उबलना
(6) गिरि
गिरी
पर्वत
बीज
(7) कोश
कोष
म्यान
खजाना
(8) वात
बात
हवा
बातचीत
(9) सकल
शकल
पूरा
टुकड़ा
(10) पास
पाश
निकट
बन्धन
(11) आदि
आदी
प्रारम्भ
आदत
(12) तरणि
तरणी
सूर्य
नाव
(13) लक्ष
लक्ष्य
लाख
निशाना
(14) प्रसाद
प्रासाद
कृपा
भवन
(15) कृति
कृती
रचना
पुण्यात्मा
(16) गृह
ग्रह
घर
नौ ग्रह
(17) हाल
हॉल
दशा
बड़ा कमरा
(18) बुरा
बूरा
खराब
शक्कर
(19) चर्म
चरम
चमड़ा
अत्यधिक
(20) इति
ईति
समाप्त
भय