1-वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को सांप क्यों किया जाता है?
उत्तर-साधारण परिस्थितियों में भी मैग्नीशियम वायु में उपस्थित ऑक्सीजन से संयोग करके मैग्निशियम ऑक्साइड बना लेता है। अतः मैग्निशियम रिबन से इस मैग्निशियम ऑक्साइड की पद तथा अन्य अशुद्धियों; जैसे-धूल-करण, नबी आदि को हटाकर शुद्ध मैग्नीशियम प्राप्त करने के लिए इसे वायु मैं जलाने से पहले साफ कर लेना आवश्यक होता है।
2-लोहे की वस्तुओं को हम पेंट क्यों करते हैं।
उत्तर-लोहे की वस्तुए वायु की ऑक्सीजन तथा नमी से संचारित हो जाती है। अर्थात इन पर जंग लग जाता है। इन्हें जंग से बचाने के लिए हम लोहे की वस्तुओं पर पेंट करते हैं।
3-तेल एवं वसा युक्त खाद्य पदार्थ को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है।
उत्तर-तेल तथा वसा युक्त भोज्य पदार्थो उपचयन से बचाव हेतु हम इन्हें नाइट्रोजन में प्रवाहित कर देते हैं। तथा इनकी गंध तथा स्वाद परिवर्तित हो जाते हैं।
4-निम्न पदों का वर्णन कीजिए तथा प्रत्येक का एक एक उदारण दीजिए:
(a) संक्षारण
उत्तर:
लोहे की बनी वस्तुएँ जब हवा में मौजूद नमी तथा ऑक्सीजन के संपर्क में अधिक दिनों तक रहती है, तो ऑक्सीजन तथा नमी से प्रतिक्रिया कर उस वस्तु पर भूरे रंग की परत चढ़ जाती है, जिसे जंग कहते हैं। धीरे धीरे लोहे से बनी पूरे वस्तु जंग में बदल जाती है, तथा जंग उस वस्तु को खराब कर देती है या खा जाती है।
इसी तरह ताम्बा तथा चाँदी या उनसे बनी वस्तुएँ भी हवा में उपस्थित अम्ल, आर्द्रता आदि के सम्पर्क में अधिक दिनों तक रहने पर हरे तथा काले रंग की परत चढ़ जाती है।
चूँकि इस प्रक्रिया के कारण लोहे, चाँदी या ताम्बे से बनी वस्तुएँ खराब हो जाती है, अर्थात उनका संक्षारण हो जाता है।
अत: यह प्रक्रिया संक्षारण कहलाती है।
(b) विकृतगंधिता
उत्तर:
तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थ जब हवा के संपर्क में लंबे समय तक रहता है, हवा में उपस्थित ऑक्सीजन से संयोग कर उपचयित हो जाता है, जिससे उसका स्वाद तथा गंध खराब हो जाता है, तथा वह खाने योग्य नहीं रह जाता है।
चूँकि तेल वसायुक्त खाद्य पदार्थों के अपचयन से उनका गंध तथा स्वाद खराब हो जाता है, अत: इस प्रक्रिया को विकृतगंधिता कहा जाता है।
विकृतगंधिता को रोकने के लिए तेल तथा वसा से युक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन जैसे कम अभिक्रियाशील गैसे से प्रभावित किया जाता है।
4-संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: रासायनिक समीकरण, जिसमें reactant (अभिकारक) तथा product (उत्पाद) दोनों तरफ atom (परमाणु), molecule (अणु) तथा / या ions (आयन) की संख्या बराबर हो संतुलित रासायनिक समीकरण कहलाता है।
5-शरीर में भोजन का पाचन किस प्रकार की अभिक्रिया है?स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-शरीर में भोजन का पाचन एक वियोजन अभिक्रिया है। जब हम चावल, गेहूं या आलू खाते हैं तब इन पदार्थों से प्राप्त स्टार्च का शर्करा मैं तथा प्रोटीन का एमिनो-अम्लों में वियोजन हो जाता है।
6. प्रतिस्थापन अभिक्रिया क्या हैं ? उदाहरण दे ।
उत्तर– वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अधिक अभिक्रियाशील धातु अपने से कम अभिक्रियाशील धातु को यौगिक के विलयन या गलित अवस्था से विस्थापित कर देती है उसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
Fe+CuSO 4 → FeSO 4 +Cu
इस रासायनिक अभिक्रिया में Fe जो कि अधिक अभिक्रियाशील है Cu की अपेक्षा उसे विस्थापित कर उसके स्थान पर स्वयं को प्रतिस्थापित कर रहा है।
7-ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रिया का क्या अर्थ है ?
उत्तर– ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया – ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें ऊष्मा निकलती हैं, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
उदाहरण — मीथेन दहन की अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
CH4 (g) + 2O2 (g) → CO2 (g) + 2H20 (g) + ऊर्जा (880.4 kJ mol-1)
ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ – ऐसी अभिक्रियाओं को जिनमें ऊष्मा अवशोषित होती है, ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ कहते हैं।
उदाहरण — बेरियम डाइऑक्साइड तथा अमोनियम थायासायनेट की अभिक्रिया ऊष्माशोषी है। .
Ba(OH)2.8H2O(s)+2NH4 SCN(s) → Ba(SCN)2 (aq)+2NH3 (aq) + 10H2O (l)
8-श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया क्यों कहते हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर- हमें जीवित रहने के लिए ऊर्जा चाहिए । यह ऊर्जा हमें भोजन से मिलती है, जिसे हम खाते हैं। पाचन के दौरान, भोजन सरल पदार्थों में टूट जाता है। उदाहरण के लिए चावल, आलू तथा ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। ये कार्बोहाइड्रेट टूटकर ग्लूकोस बनाते हैं। यह ग्लूकोस हमारे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन से संयोग करते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन है।
C 6H 12O 6 (aq) + 602 (aq) ——-→ 6CO2 (ar) + 6H2O (1) + ऊर्जा
ग्लूकोज चूँकि श्वसन अभिक्रिया में ऊष्मा निकलती है, अतः श्वसन अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
9-प्रकाश-अपघटन अभिक्रिया से क्या समझते हैं ?
उत्तर- अपघटन अभिक्रिया : अपघटन या वियोजन वह अभिक्रिया है, जिसमें किसी यौगिक के बड़े अणु के टूटने से दो या दो से अधिक पदार्थ बनते हैं, जिनके गुण मूल यौगिक के गुण से बिल्कुल भिन्न होते हैं।
प्रकाश-ऊर्जा द्वारा अपघटन :
2AgCl(s) —सूर्य का प्रकाश → 2Ag(s) + Cl 2 (g)
10-वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या अधिक पदार्थ संयुक्त होकर केवल एक पदार्थ बनाते हैं, संयोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं तथा वे अभिक्रियाएँ जिनमें यौगिक दो अधिक सरल पदार्थों में टूटता है, वियोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। अतः वियोजन अभिक्रिया, संयोजन अभिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है।
1-वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है ?
वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो या अधिक पदार्थ संयुक्त होकर केवल एक पदार्थ बनाते हैं, संयोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं तथा वे अभिक्रियाएँ जिनमें यौगिक दो अधिक सरल पदार्थों में टूटता है, वियोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। अतः वियोजन अभिक्रिया, संयोजन अभिक्रिया के बिल्कुल विपरीत है।
2-शरीर में भोजन का पाचन किस प्रकार की अभिक्रिया है?स्पष्ट कीजिए।
शरीर में भोजन का पाचन एक वियोजन अभिक्रिया है। जब हम चावल, गेहूं या आलू खाते हैं तब इन पदार्थों से प्राप्त स्टार्च का शर्करा मैं तथा प्रोटीन का एमिनो-अम्लों में वियोजन हो जाता है।