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इंग्लैंड में हुए बाडाबंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।

इंग्लैंड में हुए बाडाबंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको इंग्लैंड में हुए बाडाबंदी आंदोलन के कारणों के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

इंग्लैंड में हुए बाडाबंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।

यद्यपि इंग्लैंड में खेतों की बाडाबंदी 16 वीं शताब्दी में आरंभ हो गई थी,परंतु 18वीं शताब्दी के अंतिम चरण में यह प्रक्रिया अत्यंत तेज हो गई थी। इसके लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण उत्तरदाई थे-

1-ऊन की बढ़ती मांग

16 वीं शताब्दी में विश्व बाजार में ऊन कीमतों में अत्याधिक वृद्धि हुई तो धनी किसानों एवं जमीदारों ने ऊन की उत्पत्ति बढ़ाकर अधिक लाभ कमाने की सोची। इसके लिए वह भेड़ों की नस्ल को सुधारने की इच्छुक थे। उन्होंने भेड़ों को बेहतर चारागाह प्रदान करने के लिए खुले खेतों की बाडाबंदी आरंभ कर दी।

2-विभिन्न कानून

यद्यपि 1850 ईस्वी तक 60 लाख हेक्टेयर भूमि की बाडाबंदी हो चुकी थी, परंतु अभी तक इसे राज्य अथवा चर्च का समर्थन प्राप्त नहीं था। अतः ब्रिटिश संसद में 4000 ऐसे कानून पास किए जिनके अनुसार बाडाबंदी कुवैत करार दिया गया। इससे बाडाबंदी आंदोलन को बढ़ावा मिला।

3-जनसंख्या में तेजी से वृद्धि

18वीं तथा 19वीं शताब्दी के मध्य इंग्लैंड की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई। यह 1750 तथा उन्नीस सौ के मध्य 4 गुनी हो गई,जिससे खाद्यान्नों तथा अन्य उत्पादों की मांग बढ़ने लगी। अतः जनसंख्या की वृद्धि के कारण भूमि पर दबाव बढ़ा, जिससे लोगों के पास खुले खेतों की बाडाबंदी के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं रह गया।

4-अनाज की मांग में वृद्धि

फ्रांस के साथ युद्ध व जनसंख्या में वृद्धि के कारण इंग्लैंड में खाद्यान्नों की कमी हो गई। इससे अनाज की मांग बढ़ गई। अतः जमीदारों को खुले खेतों की बाडाबंदी कर, खाद्यान्नों की खेती के अधीन क्षेत्र को बढ़ाने को प्रोत्साहन मिला।

5-मशीनों का प्रयोग

जिस समय खाद्यान्नों की मांग में बहुत तेजी से वृद्धि हुई तो धन संपन्न लोगों ने मशीनों का प्रयोग आरंभ कर दिया। इन मशीनों के लिए बड़े खेतों की आवश्यकता थी। अतः धनी जमीदारों ने अधिक से अधिक खुले खेतों की बाडाबंदी की। धनी जमीदारों के लिए खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाकर अधिक लाभ कमाने का यह अच्छा अवसर था।