विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद भारत का स्थान आता है। सन् 2011 ई० की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ हो गई है तथा विश्व के 2.4 % क्षेत्रफल में विश्व की 16.7% जनसंख्या निवास करती है।
भारत में जनसंख्या वृद्धि
सन् 1921 ई० के बाद भारत की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। सन् 1981 ई० की जनगणना के अनुसार 1971-81 ई० के बीच 13 करोड़ 70 लाख के लगभग जनसंख्या में वृद्धि हुई है। इसी प्रकार सन् 1991 ई० में भारत की जनसंख्या 84-34 करोड़ थी जो बढ़कर सन् 2001 ई० के शुरू में 102.70 करोड़ तथा सन् 2011 ई० में 121 करोड़ हो गई है।
भारत की जनसंख्या प्रति 10 वर्ष में 1 करोड़ 60 लाख की दर से प्रतिवर्ष बढ़ रही है। यह वृद्धि ऑस्ट्रेलिया की समस्त जनसंख्या के लगभग बराबर है, जबकि इसका क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल से ढाई गुना अधिक है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण
- शिक्षा का अभाव – शिक्षा के अभाव में लोग जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणामों को समझ नहीं पाते हैं। वे परिवार नियोजन के विषय में नहीं सोचते तथा अधिक बच्चों को भगवान का वरदान मानते हैं।
- रीति-रिवाज व परम्पराएँ – कुछ परिवारों में पुत्र का होना आवश्यक माना जाता है। उनके अनुसार पुत्र ही मोक्ष दिलाता है। उसी के लिए पुत्री होने पर एक के बाद एक कई बच्चे पैदा कर लेते हैं। पुत्र की लालसा में इस प्रकार वंश चलाने के नाम पर बहुत-से बच्चे पैदा किए जाते हैं।
- कम उम्र में विवाह- कम उम्र में विवाह होने पर बच्चे भी शीघ्र ही पैदा हो जाते हैं।
- रहन-सहन का आर्थिक स्तर – भारत तथा अन्य विकासशील देशों में यह देखा गया है कि गरीब लोगों में विशेषतः मजदूर वर्ग, कृषक, दैनिक मामूली रोजगार कमाने वालों के घर पर चाहे खाने को न हो, परन्तु बच्चों की संख्या अधिक होती है, उनके अनुसार जितने बच्चे होंगे उतने ही कमाने वाले होंगे तो आय बढ़ेगी, परन्तु यह बहुत गलत धारणा है।
जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय
- कानून व्यवस्था – यद्यपि भारत सरकार ने जनसंख्या नियन्त्रण के लिए कानून बनाया है कि 2 या 3 से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए, परन्तु उसका अनुपालन 10% लोग ही करते हैं।
- परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्यक्रम बनाना – परिवार नियोजन तथा परिवार व्यवस्था पर कार्यक्रम बनाकर लोगों में जनसंख्या वृद्धि के विरोध में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। लोगों को छोटा परिवार रखने के लिए प्रोत्साहन मिलना चाहिए। सामाजिक व आर्थिक दशा सुधरने पर शायद लोग परिवार को बड़ा रखने की हानियाँ समझ सकेंगे। समाज स्त्रियों का शिक्षित होना आवश्यक है जिससे वह छोटे परिवार का महत्त्व समझ सकें व परिवार नियोजन का पालन कर सकें।
- सीमित परिवार – हमारे देश में 14-45 आयु वर्ग में लगभग 15 करोड़ लोग हैं यदि ये लोग 2-3 बच्चों के मानक पर ध्यान दें तो 25% जन्म दर में कमी लायी जा सकती है।
- परिवार नियोजन जनसंख्या वृद्धि- को रोकने के लिए परिवार नियोजन एक कल्याणकारी कार्यक्रम है जिसमें नियोजन के दो मुख्य उपाय प्राकृतिक व कृत्रिम; जैसे लूप, आई० यू० औषधि आदि तथा स्थायी उपाय में पुरुष व स्त्री नसबन्दी विशेष हैं। भारत में परिवार नियोजन की सफलता में सरकार की उदासीनता और कार्यक्रम को तत्परता से लागू न करना मुख्य कारण रहा है। देश में यदि कड़े कानून या जनसामान्य की जागरूकता के अभाव में इस कार्यक्रम का संचालन होता रहा तो यह अपने उद्देश्यों में कभी-भी सफल नहीं हो सकता है। इसलिए जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपायों में इस कार्यक्रम की भूमिका महत्त्वहीन ही रहेगी।