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निकट दृष्टि दोष तथा दूर दृष्टि दोष की व्याख्या समझाइए।

निकट दृष्टि दोष तथा दूर दृष्टि दोष की व्याख्या समझाइए।

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको निकट दृष्टि दोष तथा दूर दृष्टि दोष के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो। 

निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं?

इस दोष से युक्त नेत्र द्वारा मनुष्य को समीप की वस्तु तू स्पष्ट दिखाई देती है परंतु एक निश्चित दूरी से आगे की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती अर्थात नेत्र कादुर बिंदु अनंता पर न होकर समीप आ जाता है ऐसा नेत्र गोलक की लंबाई बढ़ने के कारण होता है इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

इस दोष से युक्त नेत्र द्वारा मनुष्य को समीप की वस्तु तू स्पष्ट दिखाई देती है परंतु एक निश्चित दूरी से आगे की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती अर्थात नेत्र कादुर बिंदु अनंता पर न होकर समीप आ जाता है 

दूर दृष्टि दोष किसे कहते हैं?

इस दोष से युक्त नेत्र द्वारा मनुष्य को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती है परंतु समीप की वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती है अर्थात नेत्र का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर हो जाता है ऐसे व्यक्ति को पढ़ने के लिए पुस्तक 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर रखनी पड़ती है यह दोष नेत्र गोलक की लंबाई कम होने तथा नेत्र लेंस की फोकस दूरी बढ़ जाने के कारण उत्पन्न हो जाता है इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

इस दोष से युक्त नेत्र द्वारा मनुष्य को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती है परंतु समीप की वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती है अर्थात नेत्र का निकट बिंदु 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर हो जाता है

निकट दृष्टि दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है?

निकट दृष्टि दोष से पीड़ित मनुष्य के लिए दूर बिंदु अनंता से हटकर कुछ पास आ जाता है निकट दृष्टि दोष का निवारण करने के लिए एक ऐसी अवतल लेंस का प्रयोग करते हैं कि अनंता से चलने वाले किरणे अवतल लेंस से अपवर्तन के पश्चात नेत्र के नए दूर बिंदु से प्रतीत हो इस प्रकार अनंता पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर स्पष्ट बन जाता है और नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।

दूर दृष्टि दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है?

दूर दृष्टि दोष से पीड़ित मनुष्य के लिए 25 सेंटीमीटर से खिस कर कुछ दूर चला जाता है और तो दूर दृष्टि दोष का निवारण करने के लिए एक ऐसे उत्तल लेंस का प्रयोग करते हैं कि स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर रखी वस्तु से चलने वाले किरण उत्तल लेंस से उपस्थित होकर नेत्र के लिए नए निकट बिंदु से आती प्रतीत होती है इस स्थिति में अंतिम प्रतिबिंब रेटिना पर बनता है इस प्रकार नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।