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हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में अंतर के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में अंतर
इनमें अंतर निम्न प्रकार से है -
भौगोलिक स्थिति
- पूर्वी घाट - यह भारत के पूर्वी तट से सटे हुए हैं और ओडिशा से तमिलनाडु तक फैले हुए हैं।
- पश्चिमी घाट - यह भारत के पश्चिमी तट पर स्थित हैं और गुजरात से केरल तक फैले हुए हैं।
ऊँचाई और ढाल
- पूर्वी घाट - ये कम ऊंचाई वाले हैं और इनकी ढाल भी कम है। इसकी सबसे ऊंची चोटी महेंद्रगिरी है, जिसकी ऊंचाई लगभग 1,501 मीटर है।
- पश्चिमी घाट - इनकी ऊंचाई अधिक है और ढाल भी तीव्र है। पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची चोटी अनाइमुडी है, जिसकी ऊंचाई 2,695 मीटर है।
जैव विविधता
- पूर्वी घाट - यहाँ जैव विविधता कम है तुलनात्मक रूप से, लेकिन यहाँ भी कई दुर्लभ प्रजातियाँ और अनूठे वन्यजीव पाए जाते हैं।
- पश्चिमी घाट - यह विश्व के आठ "हॉट-स्पॉट्स" में से एक है, जहाँ अत्यधिक जैव विविधता पाई जाती है, जिसमें कई दुर्लभ और अद्वितीय प्रजातियाँ शामिल हैं।
जलवायु
- पूर्वी घाट - यहाँ की जलवायु शुष्क से लेकर उप-आर्द्र तक होती है।
- पश्चिमी घाट - यहाँ की जलवायु अधिकतर आर्द्र होती है, खासकर मानसून के दौरान, जो इस क्षेत्र में भारी वर्षा लाता है।
पारिस्थितिकी तंत्र
- पूर्वी घाट - यहाँ के पारिस्थितिकी तंत्र में विविध प्रकार के वनों का समावेश है, जिसमें शुष्क वन और मिश्रित वन शामिल हैं।
- पश्चिमी घाट - यहाँ के पारिस्थितिकी तंत्र में घने वर्षावन, शोला वन और घास के मैदान शामिल हैं, जो इसे एक विशेष जैव विविधता क्षेत्र बनाते हैं।
निष्कर्ष
पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट दोनों ही भारत की अनूठी प्राकृतिक विरासत का हिस्सा हैं, लेकिन इनकी भौगोलिक स्थिति, ऊँचाई, जलवायु, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण अंतर हैं। इन विशेषताओं के कारण, दोनों पर्वत शृंखलाएं भारत के पर्यावरण और भूगोल में विशिष्ट भूमिका निभाती हैं।