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संसाधन एवं विकास सामाजिक विज्ञान के बारे में

संसाधन एवं विकास सामाजिक विज्ञान के बारे में

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको संसाधन एवं विकास सामाजिक विज्ञान के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

संसाधन एवं विकास

संसाधन एवं विकास- हम प्रतिदिन(Daily) जो वस्तु यूज़(Use) करते हैं जैसे जल वायु वनस्पति तकनीक(Technology) चाहे वह इंसान दुआरा बनाई गई हो या प्रकृति (Nature) दुआर वह संसाधन (Resources) व विकास (development) कहलाता है।

(उत्पत्ति के आधार पर– जैव (Bio), अजैव (Abiotic)

(ख) समप्यता(Equality) के आधार पर– नवीकरण योग्य और अनवीकरणीय योग्य।

(ग) स्वामित्व(Ownership) के आधार पर– व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय।

(घ) विकास(development) के स्तर के आधार पर– शंभावी विकसित(Developed) भंडार और सचित कोष।

संसाधन एवं विकास सामाजिक विज्ञान
संसाधन और विकास का समाज(Society) में वर्गीकरण कक्षा-10, पाठ-1

संसाधनों के प्रकार

(क) उत्पत्ति के आधार पर

जैव संसाधन- यह संसाधन(Resources) हमारी धरती से प्राप्त होते हैं जैसे मछली, वनस्पति, पशु, पेड़ आदि

अजैव संसाधन- वे सारे संसाधन जो निर्जीव (Inanimate) वस्तुओं से बने हैं अजब संसाधन कहलाते हैं । उदाहरण के लिए चट्टाने और धातुएं।

(ख) समप्यता के आधार पर

नवीकरण योग्य संसाधन- वे संसाधन एवं विकास जिन्हें भौतिक रासायनिक(Chemical) किया यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीक्रत(Renewed) या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है । उन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुनः पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है।

उदाहरण के लिए सौर तथा पवन ऊर्जा, जल व वन्य जीवन । इन संसाधनों को सतत अथवा प्रवाह संसाधनों में विभाजित (Split) किया गया है।

अनवीकरणीय योग्य संसाधन- इन संसाधनों का विकास एक लंबे भूवैज्ञानिक(Geologist) अंतराल में होता है। खनिज और जीवाश्म ईंधन(fossil fuel) इस प्रकार के संसाधनों के उदाहरण हैं। इनके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इनमें से कुछ संसाधन जैसे धातुएं(Metals) पुनः सक्रिय हैं और कुछ संसाधन जैसे जीवास ईंधन चक्रीय(Cyclical) हैं वह एक बार के प्रयोग के साथ ही खत्म हो जाते हैं।

(ग) स्वामित्व के आधार पर

व्यक्तिगत संसाधन- संसाधन निजी व्यक्तियों के स्वामित्व(Ownership) में भी होते हैं। बहुत से किसानों के पास सरकार द्वारा आवंटित(Allotted) भूमि होती है जिसके बदले में वे सरकार को लगान(Tax) चुकाते हैं। गांव में बहुत से लोग भूमि के स्वामी भी होते हैं और बहुत से लोग भूमिहीन होते हैं। शहरों में लोग भूखंड(plot), घरों व अन्य जायदाद के मालिक होते हैं। बाग, चारागाह(Grassland), तालाब और कुओं का जल आदि संसाधनों के निजी स्वामित्व के कुछ उदाहरण हैं। अपने परिवार के संसाधन की एक सूची तैयार कीजिए।

सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन- यह संसाधन समुदाय(Community) के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं। गांव की भूमि (चारण भूमि, श्मशान भूमि(Cremation ground), तालाब इत्यादि) और नगरीय क्षेत्रों के सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल और खेल के मैदान(Playgrounds), वहां रहने वाले सभी लोगों के लिए उपलब्ध है।

राष्ट्रीय संसाधन– तकनीकी तौर पर देश में पाए जाने वाले सारे संसाधन राष्ट्रीय हैं, देश की सरकार(Government) को कानूनी अधिकार है कि वह व्यक्ति का संसाधनों को भी आम जनता के हित में अधिग्रहण(Acquisition) कर सकती है, आपने देखा होगा कि सड़कें. नहरे और रेल लाइनें व्यक्तिगत स्वामित्व(Personal ownership) वाले खेतों में बनी हुई है.

शहरी विकास प्राधिकरणों(Authorities) को सरकार ने भूमि अधिकरण का अधिकार दिया हुआ है। सारे खनिज पदार्थ(Minerals), जल संसाधन, वन, वन्य जीवन, राजनीति(Politics) सीमाओं के अंदर सारी भूमि और 12 समुद्री मील (22.2 किमी.) तक सागरीय क्षेत्र(Area) में पाए जाने वाले संसाधन(Resources) राष्ट्र की संपदा है।

अंतर्राष्ट्रीय संसाधन- कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं संसाधनों को नियंत्रित करती है। तट रेखा से 200 समुद्री मील की दूरी (अपवर्जन आर्थिक क्षेत्र) से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है। इन संसाधनों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओ(Institutions) की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता।

क्या आप जानते है?

क्या आप जानते हैं कि भारत के पास अपवर्जन(Exclusion) आर्थिक क्षेत्र से दूर हिंदू महासागर की तलहटी से मैंगनीज ग्रंथियों का खनन(Mining) करने का अधिकार है। कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय संसाधनों की पहचान करें

(घ) विकास स्तर के आधार पर

संभावी संसाधन- यह वह संसाधन है जो किसी प्रदेश में विधवान(widow) होते हैं परंतु इनका उपयोग नहीं किया गया है। उदाहरण के तौर पर भारत के पश्चिमी भाग विशेषकर राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों(Resources) की अपार संभावना है, परंतु इनका सही ढंग से विकास नहीं हुआ है।

विकसित संसाधन- वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता(Quality) और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं। संसाधनों का विकास प्रौद्योगिकी और उनकी संभाव्यता(feasibility) के स्तर पर निर्भर करता है।

भंडार- पर्यावरण में उपलब्ध वह पदार्थ जो मानक की आवश्यकताओं की पूर्ति(Supply) कर सकते हैं परंतु उपयुक्त प्रौद्योगिकी(Technology) के अभाव में उसकी पहुंच से बाहर है, भंडार में शामिल है उदाहरण के लिए, जल दो गैसों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का योगिक है, हाइड्रोजन ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत(Source) बन सकता है। परंतु इस उद्देश्य से, इसका प्रयोग करने के लिए हमारे पास उन्नत तकनीकी ज्ञान नहीं है।

संचित कोष- यह संसाधन भंडार का ही हिस्सा है, जिन्हें उपलब्ध टेक्नोलॉजी(Technology) ज्ञान की हेल्प(Help) से प्रयोग में लाया जा सकता है, परंतु इनका उपयोग अभी आरंभ नहीं हुआ है। इनका उपयोग फ्यूचर(Future) में आवश्यकता पूर्ति के लिए किया जा सकता है। नदियों के जल को इलेक्ट्रिसिटी(Electricity) पैदा करने में प्रयुक्त किया जा सकता है, परंतु प्रेजेंट(Present) समय में इसका उपयोग लिमिटेड(Limited) पैमाने पर ही हो रहा है। इस प्रकार बांधों में जल, फॉरेस्ट(Forest) आदि संचित कोष है जिनका उपयोग भविष्य में किया जा सकता है।

क्रियाकलाप

अपने आसपास के एरिया(Aria) में पाए जाने वाले भंडार और संचित कोष संसाधनों की लिस्ट(List) तैयार कीजिए।

संसाधनों का विकास

संसाधन जिस प्रकार मनुष्य के लाइफ(Life) के लिए अर्जेंट(Urgent) है, उसी प्रकार जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। ऐसा बिलीव(Believe) किया जाता था की संसाधन नेचर(Nature) की देन है। परिणामस्वरूप, मानव ने इनका अंधाधुंध उपयोग किया है, जिससे निम्नलिखित मुख्य समस्या प्रॉब्लम(Problem) हो गई है।

  • कुछ व्यक्तियों के लालचवश संसाधनों का हार्स।
  • संसाधन(Resources) समाज(society) के कुछ ही लोगों के हाथ में आ गए हैं, जिससे समाज(society) दो हिस्सों संसाधन संपन्न एवं संसाधनहीन(Resourceless) अर्थात अमीर और गरीब में बट गया है।
  • संसाधनों के अंधाधुंध शोषण से वैश्विक पारिस्थितिकी संकट पैदा हो गया है जैसे भूमंडलीय तापन, ओजोन(Ozone) परत अवक्षय, पर्यावरण पॉल्यूशन(Pollution) और भूमि निम्नीकरण आदि है।

क्रियाकलाप

1.कल्पना करें कि तेल संसाधन खत्म होने पर इनका हमारी लाइफस्टाइल(Lifestyle) पर क्या प्रभाव होगा?

2.घरेलू और कृषि संबंधित अपशिष्ट को रीसाइक्लिंग(Recycling) करने के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए अपने मोहल्ले अथवा विलेज(Village) में एक सर्वेक्षण करे। लोगों से प्रश्न पूछे कि-

(अ) उनके द्वारा यूज(Use) में लाए जाने वाले संसाधनों के बारे में वे क्या सोचते हैं?

(ब) अपशिष्ट और उसके उपयोग(Uses) के बारे में उनका क्या आइडिया(Idea) है?

(स) अपने परिणामों(Result) का समुचित चित्र (College) तैयार करें।

हुमन लाइफ(Human life) की गुणवत्ता और विश्व शांति बनाए रखने के लिए संसाधनों का सोसाइटी(Society) में न्याय संगत बंटवारा आवश्यक हो गया है। यदि कुछ ही व्यक्तियों तथा देशों द्वारा संसाधनों का वर्तमान दोहन जारी रहता है, तो हमारी पृथ्वी का फ्यूचर(Future) खतरे में पड़ सकता है।

इसलिए हर तरह के जीवन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए संसाधनों के उपयोग की प्लान(Plan) बनाना अति आवश्यक है। सतत अस्तित्व सही अर्थ में सतत पोषणीय डेवलपमेंट(Development) का ही एक हिस्सा है।

सतत पोषणीय विकास

सतत पोषणीय आर्थिक डेवलपमेंट (Development) का अर्थ है कि विकास पर्यावरण को बिना लॉस(Loss) पहुंचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया से फ्यूचर(Future) की पीढियों की आवश्यकता की अवहेलना न करें।

रियो डी जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन, 1992

जून, 1992 में 100 से भी अधिक राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरो में प्रथम अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी सम्मेलन में एकत्रित हुए सम्मेलन का आयोजन विश्व स्तर पर उभरता पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास की प्रॉब्लम्स(Problems) का हल ढूंढने के लिए किया गया था।

इस सम्मेलन में एकत्रित नेताओं ने भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन और जैविक विविधता पर एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया। रियो सम्मेलन में भूमंडलीय वन सिद्धांतों (Forest Principles) पर सहमति जताई और 21वीं शताब्दी में सतत पोषणीय विकास के लिए एजेंडा 21 को स्वीकृति प्रदान की।

एजेंडा 21

यह एक घोषणा है जिसे 1992 में ब्राजील के शहर रियो डी जेनेरो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (UNCED) के तत्वाधान में राष्ट्र अध्यक्षों द्वारा स्वीकृत किया गया था। जिसका उद्देश्य भूमंडलीय सतत पोषणीय विकास हासिल करना है। यह एक वर्क शेड्यूल(Work schedule) है।

जिसका उद्देश्य समान हितो, पारस्परिक आवश्यकताओ एवं सम्मिलित (Responsibility) के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा पर्यावरणीय क्षति, गरीबी और रोगों से मिटाना है। एजेंडा 21 का मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रत्येक स्थानीय(Local) निकाय अपना स्थानीय(Local) एजेंडा 21 तैयार करें।