स्कूल प्रबंधन को किन बातो का ध्यान रखना चाहिए?
अक्सर जिस स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती या कम होती है बच्चे उस स्कूल में पढ़ना पसंद नहीं करते या माता पिता ही बच्चो को उन स्कूलों में भेजने से कतराते है | इसलिए स्कूल प्रबंधन का काम है की सबसे पहले वह अपने स्कूल के पढाई की गुणवता पर ध्यान दे , वेल ट्रेंड टीचर को ही पढाई के लिए चुने , आप टीचर का इन्टरव्यू भी ले सकते हैं | इसके अलाव स्कूल में अनुशासन रखना भी बहुत जरुरी होता है , जिस स्कूलों में अनुशासन की कमी होती है बच्चे अक्सर उन स्कूलों में बिगड़ जाते है | हालाँकि ऐसे कई बातो का ध्यान रखना आवश्यक होता है जिससे स्कूल में पढाई व्यवस्था बनी रहे |
केंद्र की गाइडलाइंस
केंद्र सरकार ने 21 सितंबर के बाद से कक्षा 9 से 12 तक के स्कूल खोलने की परमिशन दे दी है। अनलॉक-4 के तहत, एसओपी जारी कर दी गई है। स्कूल जाने के इच्छुक छात्रों को पैरंट्स से लिखित अनुमित लेनी होगी। स्टूडेंट्स के बीच कम से कम 6 फीट की दूसरी होनी चाहिए। इसके अलावा फेस कवर/मास्क अनिवार्य किया गया है। क्वारंटीन सेंटर रहे स्कूलों को खोलने से पहले पूरी तरह सैनिटाइज किया जाएगा। फिलहाल बायोमीट्रिक अटेंडेंस नहीं होगी। स्कूल के अंदर भी थोड़ी-थोड़ी देर में हाथों को साबुन से धुलना या सैनिटाइज करना होगा। परिसर में इधर-उधर थूकने पर पाबंदी है।
अब ये होंगे नियम
- नई मान्यता के साथ ही मान्यता वृद्धि मामले में अंतिम फैसला संभागीय संयुक्त संचालक द्वारा लिया जाएगा। अब कलेक्टर यह फैसला नहीं लेंगे।
- 160 छात्रों की क्षमता वाले हाईस्कूल में एक प्राचार्य के साथ ही छह शिक्षक रखना अनिवार्य होगा।
- प्रत्येक 45 शिक्षक पर एक अतिरिक्त शिक्षक रखना होगा।
- प्रत्येक स्कूल में एक प्रयोगशाला सहायक व कार्यालय सहायक के साथ ही संगीत, खेल प्रशिक्षक व काउंसलर रखना अनिवार्य होगा।
पहले ये थे नियम
- नई मान्यता के प्रकरणों में जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से प्रस्ताव प्रस्तुत करने पर जिला कलेक्टर को भेजा जाता था। जिला कलेक्टर मान्यता के संबंध में निर्णय लेते थे।
- 160 छात्रों की क्षमता वाले हाईस्कूल में एक प्राचार्य के साथ ही पांच शिक्षक का प्रावधान था।
- प्रत्येक 30 शिक्षकों पर एक अतिरिक्त शिक्षक रखना अनिवार्य था।
- प्रत्येक स्कूल में एक प्रयोगशाला सहायक व कार्यालय सहायक रखना अनिवार्य था।