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लघुबीजाणुधानी तथा गुरुबीजाणुधानी के बीच अंतर

लघुबीजाणुधानी तथा गुरुबीजाणुधानी के बीच अंतर

इन दो शब्दों के बीच का अंतर यह है कि “माइक्रोस्पोरैंगियम” शब्द एकवचन है और “माइक्रोस्पोरैंगिया” शब्द बहुवचन है। “स्पोरैंगियम” एक लैटिन-आधारित शब्द है जिसका अर्थ है “एक घेरा जिसमें बीजाणु बनते हैं,” मूल शब्द “स्पोरोस” से, जिसका अर्थ है बीजाणु, और “एंजियन”, जिसका अर्थ पोत है। माइक्रोस्पोरंगिया उन पौधों में पाए जाते हैं जो विषमबीजाणु होते हैं, या जो दो प्रकार के बीजाणु पैदा करते हैं: माइक्रोस्पोर और मेगास्पोर। माइक्रोस्पोरैंगिया माइक्रोस्पोर पैदा करता है।

माइक्रोस्पोर: बीजाणु जो एक माइक्रोगैमेटोफाइट में विकसित होता है। बीज पौधों में, यह परागकण है। माइक्रोस्पोरंगिया वे संरचनाएं हैं जो नर युग्मक या माइक्रोस्पोर या परागकणों को जन्म देती हैं। माइक्रोस्पोरंगिया बहुवचन रूप है जबकि एकवचन में माइक्रोस्पोरैंगियम। मेगास्पोरैंगिया वे संरचनाएं हैं जो मादा युग्मक या मेगास्पोर्स या अंडाणु को जन्म देती हैं।

लघुबीजाणुधानी तथा गुरुबीजाणुधानी के बीच अंतर | laghu bijanu dhani tatha guru bijanu dhani mein antar

इनमें अंतर निम्न प्रकार से है -

लघुबीजाणुधानी | Laghu bijanu dhani –

  • लघुबीजाणुधानी पुंकेसर के परागकोश (anther) में विकसित होती है। इनका विकास परागकोश के चारों कोनों विकसित पर होता है।
  • लघुबीजाणुधानी चारों ओर से बाह्य त्वचा , अन्तःस्तर मध्य स्तर तथा टेपीटम (tapetum) से घिरी होती है । अनेक लघुबीजाणु मातृ कोशिकाओं से अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा असंख्य लघु बीजाणु (परागकण) बनते हैं।
  • लघुबीजाणु (परागकण) रेखीय (linear), चतुष्क (tetrad), T आकार में अथवा क्रॉसित (decussate) चतुष्क के रूप में व्यवस्थित होता है।
  • लघुबीजाणु (परागकण) परागकोश के स्फुटन से मुक्त हो जाते हैं। ये पौधों के नर युग्मकोद्भिद होते हैं। इसमें नर युग्मक बनते हैं।

गुरुबीजाणुधानी | Guru bijanu dhani

  • गुरुबीजाणुधानी अण्डप के अण्डाशय में जरायु से विकसित होती है। इन्हें सामान्यत: बीजाण्ड कहते हैं।
  • गुरुबीजाणुधानी (बीजाण्ड) चारों ओर से बाह्य तथा अन्तःअध्यावरण (integument) से घिरी होती है।
  • एकमात्र गुरुबीजाणु मातृ कोशिका से अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार अगुणित गुरुबीजाणु (megaspores) बनते हैं। इनमें से तीन नष्ट हो जाते हैं, एक गुरुबीजाणु क्रियाशील रहता है।
  • गुरुबीजाणु रेखीय क्रम में व्यवस्थित होते हैं।
  • गुरुबीजाणु वृद्धि करके भ्रूणकोष (embryo sac) बनाते हैं। यह मादा युग्मकोद्भिद कहलाता है। इसमें मादा युग्मक (अण्ड कोशिका) बनता है।