नात्सी सोच एक निरंकुश वहां बर्बर तानाशाही विचारधारा है। प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात जर्मनी में वर्साय की संधि द्वारा जो कठोर वह अपमानजनक व्यवहार किया गया, उसके परिणाम स्वरूप जर्मनी में नाजीवाद के नाम से एक तानाशाही राज्य स्थापित हो गया। इसका नेता हिटलर था। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थी-
- राज्य सर्वोच्च है। नाजीवाद के अनुसार - लोग राज्य के लिए हैं, ना कि राज्य लोगों के लिए।"
- यह साम्यवाद, समाजवाद वह उदारवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता है।
- यह युद्ध को उचित ठहराता था और शक्ति के प्रयोग की सराहना करता था।
- नाजीवाद सभी प्रकार की संसदीय संस्थानों को समाप्त करने के पक्ष में था और एक महान नेता के नेतृत्व में विश्वास रखता था।
- नाजीवाद जर्मन की सैनिक शक्ति को बनाना चाहता था और उसे विश्व की महान शक्ति के रूप में देखना चाहता था।
- नाजीवाद जर्मनी साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था और उन सभी बस्तियों को वापस लेना चाहता था जो प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व जर्मन के अधीन थी।
- नाजीवाद यहूदियों का कट्टर विरोधी था। उसकी धारणा थी कि यहूदी स्वार्थी तथा धन के लोभी हैं। उन्हीं के कारण ही जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में पराजय का मुंह देखना पड़ा था।